Diwali 2024 चाहे मर जाना😱दिवाली पर 3 काम कभी मत करना ये चीज दिवाली पर ना लाएं ऐसी पूजा ना करें
दिवाली पर 3 काम कभी मत करना, दिवाली पर कौन सी चीज घर नहीं लाना चाहिए , दिवाली पर पूजा कैसे करें, दिवाली पर कैसे कपडे पहनें, दिवाली पर क्या दान करें, दिवाली पर धनलाभ के उपाय, दिवाली पर ये काम करने से पूरे साल आपके घर में धन की कमी नहीं होगी। साथ ही हम बताएंगे कि किस शुभ मुहूर्त में पूजन से माता लक्ष्मी को हम प्रसन्न कर सकते हैं। दिपावली की रात कौन से अचूक टोटके हैं जिन्हें करने से माता लक्ष्मी घर पधारती हैं। ये सब जानकारियां आपको इस वीडियो में मिलेंगी, आपको कहीं जाने की जरुरत नहीं है। वीडियो शुरु करने से पहले धर्म कथाएं चैनल को सबस्क्राइब कीजिए और वीडियो लाइक करके कमेंट बॉक्स में लिखिए माता लक्ष्मी आपका हमारे घर में स्वागत है। जरुर पधारिए माता रानी … सबसे पहले अपनी राशि कमेंट बॉक्स में जरुर डाल दिजिए हमारे पंडित जी से हम आपके लिए उपाय पूछकर अगले वीडियो में जरुर बताएंगे।
हिंदू धर्म में दीपावली के पर्व का विशेष महत्व है. प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के अमावस्या तिथि में दिवाली सेलिब्रेट की जाती है, दिवाली के दिन विधि-विधान से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है. इस बार लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर 2024 को शाम 5 बजे से लेकर रात के 10 बजकर 30 मिनट तक है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था. ऐसे में इस दिन लक्ष्मी पूजा का खास महत्व है. इस दिन माता लक्ष्मी घर-घर जाकर सुख-समृद्धि और धन-दौलत बने रहने का अपने भक्तों को भरपूर आशीर्वाद देती हैं.
दिवाली का पर्व सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं में भगवान राम के अयोध्या लौटने पर दीयों से अयोध्या नगरी को सजाया गया था, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इस दिन झूठ बोलना या धोखा देना अत्यंत अशुभ माना जाता है क्योंकि यह माता लक्ष्मी की कृपा से वंचित कर सकता है।
धर्मशास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन कोई भी व्यक्ति अगर किसी दूसरे व्यक्ति के साथ बेईमानी करता है तो यह लक्ष्मी जी का अपमान माना जाता है। धन का सदुपयोग करना और ईमानदारी से कार्य करना इस दिन का प्रमुख संदेश है। जब व्यक्ति झूठ बोलता है या किसी को धोखा देता है, तो यह न केवल उसकी आत्मा के लिए हानिकारक होता है बल्कि यह उसके आसपास की सकारात्मक ऊर्जा को भी नष्ट कर देता है।
धर्म और सत्य का पालन न करना व्यक्ति की मानसिक शांति को भंग कर सकता है। इसके साथ ही, झूठ बोलने से घर की समृद्धि और आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है। कई बार हम छोटी-छोटी बातों में झूठ बोलते हैं या लाभ के लिए दूसरों को धोखा देते हैं, लेकिन यह कर्म दीर्घकाल में हमें हानि पहुँचाते हैं।
रामायण और महाभारत जैसे पवित्र ग्रंथों में सत्य और धर्म के पालन पर जोर दिया गया है। भगवान राम ने सत्य और धर्म का मार्ग अपनाकर रावण का अंत किया और माता सीता को मुक्त कराया। इसी प्रकार, महाभारत में युधिष्ठिर ने हमेशा सत्य का पालन किया और अंततः विजय प्राप्त की। इन ग्रंथों से हमें यह सीख मिलती है कि सत्य का मार्ग ही विजय का मार्ग है, और दिवाली इसका प्रतीक है।
दिवाली का पर्व केवल बाहरी रूप से घर को सजाने का नहीं, बल्कि अपने भीतर की नकारात्मकताओं को दूर करने का भी समय होता है। निंदा और बुराई करना हमारी आत्मा को दूषित करता है और समाज में भी अशांति फैलाता है। दिवाली के दौरान, हमें अपने मन और विचारों को शुद्ध रखना चाहिए।
निंदा और बुराई करने से हमारे अंदर नकारात्मकता बढ़ती है, और यह दिवाली जैसे शुभ अवसर पर बिल्कुल भी उचित नहीं है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी ऐसे घर में निवास नहीं करतीं जहाँ नकारात्मक विचार या निंदा का वास होता है।
जब हम किसी की निंदा करते हैं, तो हम अपने भीतर द्वेष, ईर्ष्या, और अहंकार को जन्म देते हैं। यह हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इसके अलावा, यह समाज में भी अशांति फैलाता है। दिवाली का मूल उद्देश्य खुशी, प्रेम, और समर्पण का है, और यह तभी संभव है जब हम निंदा से दूर रहें।
गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी की निंदा करने से व्यक्ति का खुद का आत्म-सम्मान भी घटता है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता में कहा था कि अपने विचारों और कर्मों को शुद्ध रखें। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि दिवाली जैसे पवित्र अवसर पर हमें अपने विचारों और शब्दों को पवित्र और सकारात्मक रखना चाहिए।
दिवाली को समाज में अक्सर संपन्नता और समृद्धि का पर्व माना जाता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम दिखावे के लिए अनावश्यक खर्च करें। दिखावे के पीछे भागने से वास्तविक खुशी का अनुभव नहीं होता। बल्कि इससे हमें मानसिक, शारीरिक, और आर्थिक हानि हो सकती है।
दिवाली के अवसर पर हमें अपनी क्षमता के अनुसार ही खर्च करना चाहिए। दिखावे के कारण अक्सर लोग अपनी आर्थिक स्थिति से ऊपर जाकर खर्च करते हैं, जिससे आर्थिक संकट उत्पन्न हो सकता है। हमें समझना चाहिए कि दिवाली का असली उद्देश्य मन की खुशी और संतोष प्राप्त करना है, न कि अनावश्यक रूप से धन खर्च करना।
दिवाली के समय, हम अपने धन का उपयोग समाज के जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए कर सकते हैं। यह अधिक सुकूनदायक और पुण्य अर्जित करने वाला कार्य है। दिखावे और अनावश्यक खर्च से बचकर हम अपने धन को सही दिशा में लगा सकते हैं, जिससे न केवल हमें बल्कि समाज को भी लाभ होगा।
वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में काले रंग को अंधकार और नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। काला रंग शनि ग्रह से जुड़ा हुआ है, जो कि संघर्ष और कठिनाइयों का प्रतीक है। दिवाली के शुभ अवसर पर इस रंग से बचना चाहिए। काले रंग की वस्तुएं घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं और माता लक्ष्मी की कृपा से वंचित कर सकती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काले रंग की वस्तुओं को घर में लाने से समृद्धि का मार्ग बाधित होता है। यह घर में मानसिक और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। इसके बजाय, हमें इस अवसर पर लाल, पीला, और हरा जैसे शुभ रंगों का प्रयोग करना चाहिए।
कांटे वाले पौधे, जैसे कैक्टस या कांटों वाले गुलाब, नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार, यह पौधे घर में विवाद और अशांति को जन्म देते हैं। दिवाली पर घर में सुख और समृद्धि लाने के लिए इन पौधों को घर में लाना अशुभ माना जाता है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार, कांटे नकारात्मक ऊर्जा का संकेत देते हैं। इन पौधों के घर में होने से परिवार के सदस्यों के बीच तनाव और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। इसके बजाय, हमें तुलसी, मनी प्लांट, और अन्य सकारात्मक ऊर्जा देने वाले पौधे लाने चाहिए, जो घर में शांति और समृद्धि लाते हैं।
दिवाली के समय घर में टूटी-फूटी वस्तुएं जैसे मूर्तियां, बर्तन, या अन्य सामान नहीं रखने चाहिए। यह वस्तुएं घर की सकारात्मक ऊर्जा को कमजोर करती हैं और लक्ष्मी जी की कृपा को रोक सकती हैं। टूटी हुई वस्तुएं घर में दरिद्रता और अस्थिरता का प्रतीक मानी जाती हैं।
धार्मिक और वास्तु दृष्टि से, टूटी हुई वस्तुओं का घर में होना दरिद्रता का संकेत है। यह घर की समृद्धि और सुख-शांति को प्रभावित कर सकती हैं। विशेषकर दिवाली के समय, जब लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करने का प्रयास होता है, तब ऐसी वस्तुओं से दूरी बनानी चाहिए।
दिवाली की पूजा विधि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पूजा विधि जितनी सरल और शुद्ध होगी, माता लक्ष्मी की कृपा उतनी ही अधिक प्राप्त होगी। आइए जानते हैं कि दिवाली की पूजा किस प्रकार से की जानी चाहिए:
दिवाली पूजा से पहले पूजा स्थल की सफाई का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। स्वच्छता ही लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने का प्रमुख उपाय है। मान्यता है कि लक्ष्मी जी स्वच्छ और पवित्र स्थानों में ही निवास करती हैं, इसलिए पूजा स्थल को साफ-सुथरा और सुव्यवस्थित रखना बहुत आवश्यक है। इसके बाद पूजा स्थल को ताजे फूलों, दीयों और रंगोली से सजाना चाहिए। आप सजावट के लिए सुनहरे और लाल रंग के वस्त्रों का भी प्रयोग कर सकते हैं, क्योंकि ये रंग शुभ माने जाते हैं।
दिवाली के समय घर के मुख्य दरवाजे पर और पूजा स्थल के आस-पास रंगोली बनाना शुभ माना जाता है। रंगोली सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और घर में सुख-समृद्धि का वातावरण बनाए रखती है। रंगोली के लिए पारंपरिक डिजाइन जैसे स्वस्तिक, कमल, या अन्य शुभ प्रतीकों का उपयोग किया जा सकता है।
पूजा स्थल पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्तियों को एक साफ कपड़े पर स्थापित करें। भगवान गणेश को सबसे पहले पूजने का विधान है क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं और उनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य पूरा नहीं होता। गणेश जी की मूर्ति को माता लक्ष्मी के बायीं ओर रखें और ध्यान रखें कि वे धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी के साथ बैठें, न कि अकेले।
आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि मूर्तियां टूटी-फूटी न हों और उनकी प्रतिष्ठा शुद्ध मन और श्रद्धा से होनी चाहिए। माता लक्ष्मी की मूर्ति का मुख विशेषकर दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए, और पूजा स्थल पर कोई अव्यवस्था न हो। मूर्तियों के साथ एक चांदी का सिक्का या सोने का आभूषण भी रखा जा सकता है, जिसे लक्ष्मी जी के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
मूर्ति स्थापना के बाद, भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से बनाया जाता है। यह स्नान देवताओं को शुद्ध करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक तरीका होता है। इसके बाद, मूर्तियों को स्वच्छ वस्त्र पहनाएं।
मूर्तियों पर वस्त्र अर्पण करने के बाद, उन पर चंदन, हल्दी और कुंकुम लगाएं। इस दौरान मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए और भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का ध्यान करना चाहिए।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में दीया, धूप, अगरबत्ती, फल, मिठाई, जल का कलश, और पंचामृत जैसी वस्तुएं शामिल हैं। पूजा सामग्री का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यह पूजा को प्रभावी और शुद्ध बनाती है। थाली में सुपारी, इलायची, लोंग, और पान के पत्ते भी रखें, क्योंकि यह शुभ माने जाते हैं।
पूजा स्थल पर दीपक जलाने का विशेष महत्व है। दीया जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। दिवाली की पूजा में विशेषकर घी का दीया जलाया जाता है, जिसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
दिवाली पूजा में गणेश जी और लक्ष्मी जी के मंत्रों का जाप अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। गणेश जी के लिए “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जाप किया जाता है, जबकि लक्ष्मी जी के लिए “ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप किया जाता है। मंत्रों का उच्चारण करते समय श्रद्धा और भक्ति का विशेष ध्यान रखें। इसके बाद लक्ष्मी जी की आरती गाएं और पूरे घर में दीपक जलाकर आरती करें।
आरती के बाद, पूरे घर में धूप और दीपक लेकर घूमें ताकि घर की सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश हो सके और सकारात्मकता का प्रवेश हो। माना जाता है कि आरती के समय घर में सभी लोग उपस्थित रहें और भगवान का ध्यान करें।
पूजा के बाद, भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को भोग अर्पण किया जाता है। भोग में फल, मिठाई, और विशेषकर हलवे का प्रयोग किया जाता है। प्रसाद को घर के सभी सदस्यों में बांटें और घर में खुशहाली और सौहार्द्र का वातावरण बनाए रखें।
प्रसाद को देवी-देवताओं का आशीर्वाद माना जाता है और इसे परिवार के सदस्यों और आस-पड़ोस के लोगों में वितरित करना शुभ माना जाता है। प्रसाद को बांटते समय प्रेम और सद्भाव का ध्यान रखें क्योंकि यही दिवाली का असली संदेश है।
पूजा के बाद विशेष मंत्र जाप करने से लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है। विशेष रूप से “श्री सूक्त” का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। लक्ष्मी जी का आह्वान करते समय शुद्धता और एकाग्रता का विशेष ध्यान रखें। ध्यान के दौरान, आप अपनी समृद्धि और सुख-शांति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
ध्यान और मंत्र जाप न केवल मानसिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि यह आपकी आंतरिक ऊर्जा को भी संतुलित करते हैं। दिवाली के समय, विशेष ध्यान लक्ष्मी जी पर होना चाहिए ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो और आपके जीवन में खुशहाली बनी रहे।
दिवाली एक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, इसलिए इस अवसर पर परंपरागत भारतीय परिधान पहनने का विशेष महत्व है। भारतीय परिधान न केवल सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक होते हैं, बल्कि यह देवी-देवताओं के प्रति आदर और श्रद्धा प्रकट करने का एक तरीका भी है। महिलाएं साड़ी, सलवार-कुर्ता, और लहंगा-चोली जैसे परिधान पहन सकती हैं, जबकि पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता, कुर्ता-पायजामा, या शेरवानी जैसे परिधान उपयुक्त होते हैं।
भारतीय परिधान पहनने से एक प्रकार की पवित्रता और संस्कारों की भावना आती है। यह न केवल पहनने वाले की आभा को बढ़ाता है, बल्कि यह पर्व की धार्मिकता और गंभीरता को भी प्रकट करता है। परंपरागत कपड़े पहनने से देवी लक्ष्मी और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करने की संभावना अधिक होती है।
दिवाली के दिन रंगों का बहुत महत्व होता है। प्रत्येक रंग का अपना एक अलग धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस दिन हल्के और चमकीले रंगों का प्रयोग करना चाहिए। लाल, पीला, हरा, और सुनहरा रंग इस अवसर पर बहुत शुभ माने जाते हैं। ये रंग ऊर्जा, समृद्धि, और सौभाग्य के प्रतीक होते हैं।
लाल रंग शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है। यह रंग विशेष रूप से लक्ष्मी जी की पूजा में प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह उन्हें प्रसन्न करता है। इसी तरह, पीला रंग बुद्धि और शुभता का प्रतीक है। हरा रंग प्रकृति, जीवन और समृद्धि का प्रतीक होता है। दिवाली पर इन रंगों का प्रयोग करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
दिवाली के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए क्योंकि यह रंग शनि ग्रह और नकारात्मकता से जुड़ा हुआ माना जाता है। काले रंग के कपड़े पहनने से घर में नकारात्मक शक्तियों का वास हो सकता है, जिससे लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त नहीं होती।
दिवाली के अवसर पर धातु के आभूषण पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है। सोने और चांदी के आभूषण समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक होते हैं। इसके अलावा, बिंदी, चूड़ियां, और अन्य परंपरागत आभूषण पहनने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
आभूषण न केवल व्यक्ति की शोभा को बढ़ाते हैं, बल्कि यह समृद्धि और धन का प्रतीक भी होते हैं। दिवाली के दिन आभूषण पहनना शुभ माना जाता है क्योंकि यह लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका होता है।
दिवाली के मौके पर अनाज और भोजन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसका धार्मिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में माना जाता है कि जिस घर में कोई भूखा सोता है, वहाँ माता लक्ष्मी का वास नहीं होता। दिवाली के अवसर पर, जब लोग धन-धान्य से संपन्न होते हैं, उस समय अनाज और भोजन का दान करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
प्राचीन शास्त्रों में भी कहा गया है कि अनाज का दान करने से व्यक्ति के जीवन में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती। दिवाली के अवसर पर गेहूं, चावल, दाल, और अन्य अनाज का दान विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका उद्देश्य यह होता है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए और सभी के जीवन में समृद्धि आए। इसके अलावा, अनाज का दान गरीबों और जरूरतमंदों के लिए एक बड़ी सहायता साबित होता है, और यह पुण्य का कार्य भी माना जाता है।
भोजन का दान भी बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। दिवाली के अवसर पर जरूरतमंदों को भोजन का दान करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जब हम भोजन का दान करते हैं, तो यह हमारे जीवन में शांति, समृद्धि और धन की वृद्धि करता है। यह दान इस बात का प्रतीक है कि हम अपनी संपन्नता को दूसरों के साथ साझा कर रहे हैं, और यह कर्म समाज में भाईचारे और सौहार्द्र को बढ़ावा देता है।
दिवाली पर नए और उपयोगी वस्त्रों का दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर वे लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और नए कपड़े खरीदने की स्थिति में नहीं होते, उन्हें कपड़ों का दान करके दिवाली का आनंद साझा किया जा सकता है।
कपड़े का दान विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में महत्वपूर्ण होता है। अगर दिवाली सर्दियों के दौरान आती है, तो गर्म कपड़े जैसे स्वेटर, शॉल, कम्बल आदि दान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। इसके साथ ही, बच्चों और वृद्धों के लिए नए कपड़े और चप्पल दान करने से उनका जीवन थोड़ा अधिक सुखद बन सकता है। कपड़े का दान न केवल शारीरिक सुख देता है बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक समृद्धि का भी संकेत है।
दिवाली के अवसर पर बर्तन दान करना भी विशेष पुण्यकारी माना जाता है। बर्तन के बिना भोजन पकाना और परोसना संभव नहीं होता, इसलिए नए बर्तन दान करना एक बहुत ही अच्छा कार्य होता है। कई लोग दिवाली के दिन गरीबों को स्टील या तांबे के बर्तन, थाली, गिलास, और अन्य दैनिक उपयोग के सामान का दान करते हैं। इससे उनके जीवन में आसानी और समृद्धि आती है, और दाता के जीवन में भी लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है।
धन का दान करना हमेशा से ही दान के प्रमुख रूपों में से एक माना जाता है, और दिवाली पर यह दान विशेष महत्व रखता है। समाज के कमजोर वर्गों को आर्थिक मदद देने से समाज में संतुलन बनाए रखने में सहायता मिलती है।
धन का दान करना समाज में धन का समान वितरण सुनिश्चित करने का एक तरीका होता है। यह दान करने से न केवल दाता का हृदय शुद्ध होता है, बल्कि उसे धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होता है। कई लोग दिवाली पर गरीबों, मंदिरों, और धर्मशालाओं में धन का दान करते हैं ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके। इसका अर्थ यह होता है कि हम समाज की भलाई के लिए अपनी संपत्ति का सही उपयोग कर रहे हैं।
दिवाली पर सिर्फ धन ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली चीज़ों का दान भी महत्वपूर्ण होता है। जैसे कि शिक्षा के लिए किताबें, स्कूल बैग, चप्पल, दवाईयां, कंबल, छाते आदि दान करना भी एक अच्छा कार्य है। सामग्री का दान समाज के जरूरतमंद लोगों की जिंदगी को थोड़ा आसान बनाने का तरीका होता है। यह दिवाली का असली उद्देश्य है—एक दूसरे के साथ अपनी खुशियाँ साझा करना और समाज में समानता और सहानुभूति का माहौल बनाना।
दान का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। यह व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करने और पापों से मुक्त करने का एक साधन माना जाता है। जब कोई व्यक्ति निस्वार्थ भाव से दान करता है, तो उसे जीवन में मानसिक शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। दिवाली के दिन दान करने का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह दिन समृद्धि, प्रेम, और सेवा का प्रतीक होता है। दान करने से व्यक्ति के भीतर की करुणा और समर्पण की भावना जागृत होती है, जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
दान का सामाजिक दृष्टिकोण भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। दान करने से समाज के कमजोर वर्गों को सहारा मिलता है, जिससे सामाजिक संतुलन बना रहता है। जब समाज के सभी लोग एक-दूसरे की मदद करने के लिए आगे आते हैं, तो समाज में समानता, शांति, और समृद्धि का विकास होता है। दान का यह कार्य न केवल दाता को आंतरिक संतुष्टि प्रदान करता है, बल्कि समाज में भाईचारे और सौहार्द्र की भावना भी उत्पन्न करता है।
दक्षिणावर्ती शंख का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे लक्ष्मी जी का प्रतीक माना जाता है, और इसकी पूजा करने से घर में धन, संपत्ति, और समृद्धि का आगमन होता है। शास्त्रों के अनुसार, दिवाली के दिन दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धनलाभ के अवसर बढ़ते हैं।
वास्तुशास्त्र के अनुसार, दक्षिणावर्ती शंख को घर में स्थापित करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख, समृद्धि, और शांति बनी रहती है। इसे नियमित रूप से साफ करके पूजा स्थल पर रखा जाता है और पूजा के दौरान इसमें जल भरकर लक्ष्मी जी को अर्पित किया जाता है। यह शंख विशेष रूप से धन के देवता कुबेर और लक्ष्मी जी का आह्वान करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके माध्यम से आप अपने जीवन में आर्थिक समृद्धि और स्थिरता प्राप्त कर सकते हैं।
कुबेर यंत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक उपाय है जो धनलाभ के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। कुबेर देवता को धन और संपत्ति का देवता माना जाता है, और उनका यंत्र घर में स्थापित करने से धन की आवक में वृद्धि होती है।
दिवाली के दिन कुबेर यंत्र की स्थापना करने से घर में धन-संपत्ति की कमी कभी नहीं होती। कुबेर यंत्र को घर के पूजास्थल या धन रखने की जगह पर स्थापित करना चाहिए। इसके साथ लक्ष्मी जी की पूजा भी करनी चाहिए ताकि यंत्र की ऊर्जा बढ़ सके। इसे प्रतिदिन धूप और दीप दिखाकर पूजा करें और कुबेर मंत्र का जाप करें। यह यंत्र आपको न केवल धनलाभ देता है, बल्कि आपके जीवन में स्थिरता और संतुलन भी बनाए रखता है।
दिवाली की रात को धन लक्ष्मी मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह मंत्र माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और धनलाभ प्राप्त करने का एक शक्तिशाली उपाय है। मंत्र जाप से मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
धन लक्ष्मी मंत्र: “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः”
यह मंत्र विशेष रूप से लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। दिवाली की रात को इस मंत्र का 108 बार जाप करने से धन की आवक में वृद्धि होती है। इसे लक्ष्मी पूजन के दौरान या रात के समय जाप करना विशेष लाभकारी होता है। यह मंत्र न केवल आर्थिक समस्याओं को हल करता है, बल्कि आपके जीवन में समृद्धि और खुशहाली भी लाता है।
दिवाली के दिन मुख्य दरवाजे पर घी या तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मुख्य दरवाजे पर दीपक जलाने से माता लक्ष्मी उस घर में प्रवेश करती हैं और वहां सुख-समृद्धि का वास करती हैं।
आंगन में दीयों की पंक्तियाँ जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके साथ ही, घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और घर में कोई भी नकारात्मक शक्ति प्रवेश नहीं कर पाती।