वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था में “K-आकार” की रिकवरी के दावों को खारिज कर दिया है और उन आलोचकों को चुनौती दी है जो ग्रामीण क्षेत्रों में लग्जरी खरीदारियों को ही मजबूत विकास से जोड़ते हैं. बजट 2024 के बाद बातचीत में सीतारमण ने “दोहरी रफ्तार” वाली वृद्धि की धारणा पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या वास्तविक वृद्धि केवल ग्रामीण इलाकों में लग्जरी सामानों की खरीद से जुड़ी है?
“K-आकार” रिकवरी का मतलब होता है कि कुछ क्षेत्रों में तो बहुत तेजी से विकास हो रहा है जबकि अन्य क्षेत्र लगातार गिरते जा रहे हैं, जिससे धन का असमान वितरण होता है। भारत के कोविड के बाद की आर्थिक गति को लेकर आलोचक कार बिक्री, रियल एस्टेट और कृषि क्षेत्र में रोजगार वृद्धि में आ रहे बदलाव को “K-आकार” रिकवरी के संकेत के रूप में देखते हैं।
आर्थिक स्थिति को बताने के लिए “लेटर” का इस्तेमाल करने को खारिज करते हुए सीतारमण ने अर्थशास्त्रियों और बुद्धिजीवियों के दावों को खारिज करते हुए कहा कि हर क्षेत्र समग्र विकास में योगदान देता है। हालांकि पिछले दो वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छी वृद्धि दिखाई है, लेकिन पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन और यूएनडीपी की एशिया-प्रशांत मानव विकास रिपोर्ट ने आय और संपत्ति असमानता बढ़ने को लेकर चिंता जताई है।
भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग ने “K-आकार” रिकवरी के दावों का खंडन किया है और कहा कि गिनी गुणांक के माध्यम से मापी गई आय असमानता में गिरावट आई है। सीतारमण ने पहले भी इन दावों को चुनौती दी थी और आलोचकों से अपने दावों का आधार देने के लिए कहा था।