Gaya Vishnupad Temple,Vaishnava temples, Vishnupad Mandir, Footprint of Lord Vishnu
हमारे देश में भगवान विष्णु का एक ऐसा भी मंदिर है जो प्रमुख ही नहीं अति विशिष्ट भी है और एक ऐसे स्थान पर है जहां कभी भगवान श्रीराम का आगमन हुआ था। जी हां आज हम बात करने जा रहे हैं विष्णुपद मंदिर की जो की बिहार के गया में स्थित है।
चरण चिंहों के साक्षात दर्शन Gaya Vishnupad Temple
ऐसी मान्यता है कि विश्व में यही एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान विष्णु की मूर्ति की नहीं अपितु साक्षात उनके चरण चिंह की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के चरण चिंह यहां सतयुग काल से ही मौजूद बताए जाते हैं। पवित्र फल्गु नदी के किनारे स्थित भगवान विष्णु यह चरण चिंह मारीच ऋषि की पत्नी माता धर्मवत्ता की शिला पर स्थित बताए जाते हैं। विष्णुपद मंदिर ही एक ऐसा स्थान है जहां भगवान विष्णु के चरण चिंहों के साक्षात दर्शन होते हैं।
राक्षस से मुक्ति दिलाने पैर से दबाई थी शिला Pind Dan gaya
कहा जाता है कि राक्षस गयासुर को स्थिर करने अर्थात उसके आतंक से संसार को मुक्ति दिलाने के लिए धर्मपुरी नामक स्थान से माता धर्मवत्ता शीला को लाया गया था। जिसे गयासुर पर रखकर भगवान विष्णु ने अपने दाहिने पैर से दबा दिया। जिससे राक्षस की मृत्यु हो गई और भगवान के चरण चिन्ह शिला पर पड़ गए। तभी से यहां भगवान विष्णु के चरण चिन्हों की पूजा होती है। इस मंदिर की ऊंचाई करीब 100 फीट है। सभा मंडप में 44 पिलर लगे हुए हैं। 19 वेदियां विष्णुपद में ही है। यही वह स्थान है जहां पितरों की मुक्ति के लिए सालभर पिंडदान होता है। Gaya Bihar Gaya Vishnupad Temple
यहां माता माता सीता ने स्वयं किया था पिंडदान Falgu river and sita devi
Devi Sita आपको जानकार हैरानी होगी किंतु विष्णुपद मंदिर के ठीक सामने फल्गु नदी के पूर्वी तट पर सीता कुंड स्थित है। इस संबंध में मान्यता है कि माता सीता ने स्वयं महाराज दशरथ का यहां पिंडदान किया था। Pitru Moksha amavasya 2020
करीब 40 सेंटीमीटर है चरण चिंहों की लंबाई Footprint and Pind Dan gya
यहां मौजूद भगवान विष्णु के चरण चिन्हों की लंबाई करीब 40 सेंटीमीटर है। वहीं गर्भ गृह में भगवान विष्णु की चरण पादुका भी देखने मिलते हैं जो कि अपने आप में ही अद्भुत एवं अतुल्य है। यहां आकर किसी को भी अलौकिक एवं अविस्मरणीय अनुभूति होती है। यहां दूर-दूर से लोग भगवान विष्णु के इन चरण चिंहों के दर्शन करने आते हैं। सीता कुंड को लेकर भी कई तरह की लोक कथाएं यहां प्रचलित हैं।