विधानसभा बहुमत परीक्षण से पहले गंभीर भाषण देते हुए और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता हेमंत सोरेन ने घोषणा की कि वह आंसू नहीं बहाएंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कुछ लोगों के लिए आदिवासियों और वंचित वर्गों के आंसू महत्वपूर्ण नहीं हैं। 31 जनवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया था।
सोरेन ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए इसे देश के लोकतंत्र में “काला अध्याय” बताया। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी की घटनाओं में राज्यपाल कार्यालय के शामिल होने का भी आरोप लगाया। दलित आइकन डॉ. बीआर अंबेडकर का हवाला देते हुए उन्होंने पिछड़े वर्गों पर अत्याचारों को उजागर किया और 31 जनवरी की घटनाओं को अत्याचार का ही एक और उदाहरण बताया।
सोरेन ने मीडिया की उन टिप्पणियों का भी खंडन किया, जिनमें कहा गया था कि जेल में उनका जीवन आदिवासी जीवनशैली जैसा होगा। उन्होंने ऐसी बातों को खारिज करते हुए भाजपा को विवादित 8.5 एकड़ जमीन के स्वामित्व का सबूत पेश करने की चुनौती दी और अगर वो साबित हो गया तो राजनीति छोड़ने का वादा किया।
केंद्रीय एजेंसियों पर आदिवासियों और निर्दोषों को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए सोरेन ने कहा कि उनके प्रयासों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी है और उचित समय पर हर षड्यंत्र का जवाब देंगे। उन्होंने नेतृत्व की भूमिका के लिए आदिवासियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को रेखांकित किया और विरोधियों द्वारा आने वाली बाधाओं के बावजूद अपना कार्यकाल पूरा करने का संकल्प व्यक्त किया।