कार्यस्थल पर चिंता (anxiety) होना, कई महिलाओं के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है, खासकर तब, जब उन पर भारी काम का बोझ हो, मैनेजर अनुचित व्यवहार करें, या फिर लैंगिक रूढ़िवादिता के आधार पर भेदभाव किया जाए। इससे निपटने के लिए, कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
सीमाएं निर्धारित करना (Establishing boundaries): स्पष्ट सीमाएं तय करें कि आप कितना काम करेंगी और कब काम करेंगी। अपने व्यक्तिगत जीवन के लिए भी समय निकालें.
अपना ख्याल रखना (Prioritizing self-care): पर्याप्त नींद लें, स्वस्थ भोजन करें और व्यायाम करें।
आत्मविश्वास बढ़ाना (Cultivating assertiveness): अपनी बात स्पष्ट रूप से कहें और अपने विचारों को व्यक्त करने में हिचकिचाएं नहीं।
मनोचिकित्सक डॉ. ज्योति कपूर समय प्रबंधन के मजबूत कौशल विकसित करने, सहायता नेटवर्क बनाने और नए कौशल सीखने के लिए सक्रिय रहने की सलाह देती हैं। वहीं परामर्शदात्री मनोविज्ञानी डॉ. मोना गुजराल, महिलाओं को “वर्किंग-मॉम गिल्ट” (कामकाजी माँ होने का अपराधबोध) से उबरने, लगातार खुद को साबित करने की आदत को छोड़ने और कार्यों को प्रभावी ढंग से सौंपना सीखने की सलाह देती हैं। कार्यस्थल के तनाव से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए पर्याप्त नींद लेने और समग्र सेहत का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है।