व्रत और त्यौहार

26 अगस्त जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को 3 चीजे कभी मत खिलाना पूरा घर नष्ट हो जाता है क्या खिलाएं जानिए

राधे राधे जय श्रीकृष्ण दोस्तों चाहे मर जाना 26 अगस्त दिन सोमवार को जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को यह तीन चीजें कभी मत खिला देना, पूरा परिवार कंगाल हो जायेगा, दरिद्रता घर में आ जाएगी, गरीबी आ जाएगी। सारी ज़िन्दगी पछताओगे कि यह मैंने लड्डू गोपाल के साथ क्या कर दिया बस?

लड्डू गोपाल को जन्माष्टमी पर ये तीन चीज़ मत खिलाना दोस्तों जब भी हम हिंदू धर्म में पूजा, पूजा, घर की बात करते हैं या फिर लड्डू गोपाल की बात करते हैं, घरघर में काफी सारे लोग जो भी कृष्ण भक्त होते हैं वो सभी अपने घर में लाला को जरूर रखते हैं। हर घर के मंदिर में प्रायः प्रायः लड्डू गोपाल देखने को मिलते हैं।पर कुछ लोग भगवान को स्थापित करने के नियम का पालन करते हैं। धीरेधीरे बाद में नियमों को अनदेखा कर देते हैं। ये अगर आपके घर पर लड्डू गोपाल है तो इसके अलावा रोजाना के कामों में भी कुछ नियमों का पालन करना आपका धर्म बनता है। सुंदर सी वीडियो को लाइक जरूर करें।

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आज मैं आपको बताऊँगा कि किस प्रकार से आप अगर घर में अपने लड्डू गोपाल रखते हैं तो आपको एक छोटी सी भूल नहीं करनी चाहिए वरना आपकी सारी सेवा बेकार हो जाती है। एकदम सच्ची बात है उन करोड़ों कृष्ण भक्तों द्वारा जो अक्सर अपने जीवन में।लड्डू गोपाल की नटखट शरारतों के प्रत्यक्ष अनुभव और दर्शनों का महा सौभाग्य पाते हैं। जैसे कोई छोटा सा मासूम बच्चा हो और आप उसको पिट दें लेकिन फिर थोड़ी देर बाद आप उसे प्यार से बुलाएं तो वो आपकी मार को भूलकर आपके पास खिलखिलाते हुए चला आता है। उसी तरह से कोई बड़ा से बड़ा पापी भी अगर अच्छा इंसान बनना चाहे।लगता है तो वो भी प्रेम से।


अगर लड्डू गोपाल को बारबार बुलाये तो लड्डू गोपाल ठुमक ठुमक करके हंसते हुए उसके पास पहुँच जाते हैं। हमारे शास्त्रों में लाढ लड़ाने की बड़ी महिमा बताई गई है। कई लोगों को तो पता ही नहीं होता है कि लाडीडीए लदा डे ढाना किसको कहा जाता है।लाढलढाड़ना वो तरीका है जिससे अनंत ब्राहमांडो को जन्म देने वाला, पालने वाला और नष्ट करने वाला परम सत्ता आपके बंधन में बंध जाता है। अब ये आपके ऊपर है कि आप उन्हें किस रिश्ते में बांधना चाहते हैं। आप जीस भी रिश्ते से सबसे ज्यादा प्यार महसूस करते हैं चाहे वो बेटा हो।भाई हो, भतीजा हो, भांजा हो, कोई भी रिश्ता हो, उसी रिश्ते से बिना किसी संकोच के बाल गोपाल को जोड़े और फिर कुछ दिनों तक उस रिश्ते को नियम से निभाइए।

आप चमत्कार देखिए कुछ दिन बाद भले ही आप उस रिश्ते को भूल जाएंगे पर आपके लड्डू गोपाल नहीं भूलेंगे।आप देखेंगे आपको महान आश्चर्य होगा कि अब रिश्ता लड्डू गोपाल आपसे निभाते हैं। दोस्तों मैं जानता हूँ सुनने में थोड़ा सा अजीब लगेगा और लाढ़ लड़ाने में बस यही गहरी मानसिकता होती है कि लड्डू गोपाल से हमारे या आपसे जो भी रिश्ता आपने जोड़ा है, मन ही मन अंदर ही अंदर आप वो रिश्ता निभाते रहे।और मन में अगर भावना करने में दिक्कत आ रही है तो आप चाहें तो कोई भी मूर्ति या किसी भी तस्वीर का सहारा ले सकते हैं। अगर मन में लड्डू गोपाल को खाना खिलाने में एकाग्रता नहीं हो रही है तो मूर्ति के सामने भोग लगाइये। दोनों में कोई अंतर नहीं है। इस प्रेम की सच्ची गाथा।मैं आपको एक छोटी सी बताता हूँ, आपको सुनकर बहुत ही आश्चर्य होगा। एक बार की बात है, दो बूढ़ी औरतें थी, दो वृद्ध स्त्रियां थी, पासपास पटढोसने थी और उन दोनों में बहुत ज्यादा दोस्ती थी। उन दोनों का संसार में कोई नहीं था, इसलिए एकदूसरे का हमेशा साथ देती थी।

एकदूसरे का हाथ बंटाती थी, एक स्त्री उसमें से हिंदू थी और एक जैनी थी जो हिंदू थी। उसने अपने घर में लड्डू गोपाल को विराजमान किया हुआ था और हर दिन बड़े प्रेम से लड्डू गोपाल की सेवा करती थी। उनको स्नान कराती धुले कपड़े पहनाती दूध, फल आदि भोग अर्पित करती।ये उसका नियम था। वो स्त्री लड्डू गोपाल के भोजन का विशेष ध्यान रखती थी। सर्दी हो, गर्मी हो, बरसात हो, हर समय, हर मौसम के हिसाब से लड्डू गोपाल को खाने की चीजें, नए वस्त्र, खिलौने आदि बाहर जाती तो भी लेकर आती थी। लड्डू गोपाल से उनके मन में बहुत ज्यादा प्रेम था।और हर समय सेवा भाव में लगी रहती। एक बार हिंदू वृद्धा एक महीने के लिए तीर्थ यात्रा पर जा रही थी। दूसरी स्त्री को भी उन्होंने चलने के लिए बोला किन्तु वो अधिक वृद्धि थी इसलिए उन्होंने मना कर दिया। अब कुछ दिन बाद वो हिंदू वृद्धा तीर्थ यात्रा के लिए निकल गई।उसके जाने के पहले उस पहली वाली हिंदू स्त्री ने उनको लड्डू गोपाल की सारी सेवा समझाई और पूछा कि आप लड्डू गोपाल की सेवा कर लोगे क्या?

जैन स्त्री ने हाँ बोल दिया और शुरू से वह बहुत उत्साहित थी कि उसको लड्डू गोपाल की सेवा का अवसर प्राप्त किया। उस दिन उसने बड्ढे प्रेम से लड्डू गोपाल की सेवा की।भोजन कराने से लेकर रात तक के शयन तक सभी कार्य पूर्ण श्रद्धा के साथ किए और जैसे जैसे बताया था हिंदू स्त्री ने वैसेवैसे उन्होंने किया और वो अपने घर शयन के लिए चली गई। जब अगले दिन वो लौटी लड्डू गोपाल की सेवा के लिए तो उसने लड्डू गोपाल को स्नान कराने की तैयारी की।और जब वो लड्डू गोपाल को स्नान कराने लगी तो उसने देखा कि लड्डू गोपाल के पांव पीछे की ओर मुड्ढे हुए हैं। उसने पहले कभी लड्डू गोपाल के पांव नहीं देखे थे। जब भी देखा था उनको वस्त्रों में देखा था।अब वो ये नहीं जानती थी कि लड्डू गोपाल के पांव है ही। ऐसे घुटनों के बल बैठे हुए लड्डू गोपाल के पांव पीछे की ओर देखकर वो डर गई। सोचने लगी ये मेरे लड्डू गोपाल को क्या हो गया इनके पांव कैसे मुड़ गए?

उसने उस हिंदू वृद्धा से सुन रखा था कि लड्डू गोपाल जीवंत होते हैं।उसने मन में विचार किया कि मैं इन पैरों की मालिश करूँगी, हो सकता है इनके पांव ठीक हो जाएं। बस फिर क्या था भक्ति भाव में डूबकर वह भोलीभाली जैन वृद्धा महिला ने लड्डू गोपाल के पैरों की मालिश शुरू कर दी।इसके बाद वह नियम से रोज़ पांच बार उनके पैर की मालिश करने लगी और उस भोलीभाली वृद्धा की भक्ति देखकर के प्रेम देखकर के ठाकुर जी का हृदय द्रवित हो उठा।भक्त वत्सल भगवान ने अपनी करुणा अपना प्रेम उस वृद्धा पर उड़ेल दिया और 1 दिन प्रातः उस जैन वृद्धा ने देखा कि लड्डू गोपाल के पांव ठीक हो गए हैं। वो सीधे खड़े हो गए। ये देखकर वो बहुत खुश हुई और दूसरी स्त्री के आने की प्रतीक्षा करने लगी। कुछ दिन बाद जब दूसरी वाली स्त्री जो हिंदू स्त्री थी।वो आकर के लड्डू गोपाल के उसने दर्शन किए तो डर गई और रोना शुरू कर दिया। अचंभित हो गई और पूछा कि मेरे लड्डू गोपाल कहाँ गए?

ये सुनकर जयन स्त्री ने उनको सारी बात बताई और यह बात सुनकर कि वो वृद्ध स्त्री सन्न रह गई और उनको लेकर के अपने घर गई। वहाँ जाकर उसने देखा कि लड्डू गोपाल मुस्कुरा रहे थे।वो लड्डू गोपाल के चरणों में गिर पड़ी। बोली हे गोपाल आपकी लीला निराली है। मैंने इतने वर्षों तक आपकी सेवा की किन्तु आपको नहीं पहचान सकी तब उस जैन वृद्धा से बोली कि तू धन्य है, तुझे नहीं मालूम कि हमारे लड्डू गोपाल के पांव तो ऐसे ही हैं पीछे के?

किन्तु तेरी भक्ति और प्रेम ने लड्डू गोपाल के पांव भी सीधे कर दिए। उस दिन के बाद उन दोनों स्त्रियों के मध्य प्रेम भाव और अधिक बराज गया और मिलकर लड्डू गोपाल की सेवा करने लगी। बात इतनी है कि जब तक दोनों जीवित रही लड्डू गोपाल की सेवा करती रही। हम कितनी एकाग्रता से मन में लड्डू गोपाल की ध्यान से सेवा करते हैं।वो मैटर करता है। अंदर ही अंदर आपको एक रिश्ता जोड़ ढह करके लड्डू गोपाल से पुत्र की तरह भाई की तरह पिता की तरह जो भी आप रिश्ता जोड़ना चाहें उसकी तरह जोड़ करके मन ही मन अंदर ही अंदर वो रिश्ता निभाइए, मन में भावना करने की दिक्कत आती है तो आप एक लड्डू गोपाल को लेकर के आइये उनकी सेवा करिये।

खेलखेल में लड्डू गोपाल तब आपके अपने बन जाएंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा। कुछ लोग इन सबको अंधविश्वास समय की बर्बादी कह सकते हैं। पर दोस्तों ये पता ही नहीं है कि यदि बाल गोपाल चैतन्य महाप्रभु की गुरूमाता के यहाँ पानी भरना, झाडू लगाना, खाना बनाना और बर्तन मांजने तक का काम करते थे।यही बाल गोपाल बूढ़े बल्लभाचार्य जी को रोज़ सुबह हाथ पकड़कर बाथरूम कराने के खेतों में लेकर जाते थे। और मैं और क्या कहूं?

बालगोपाल की बातें कभी किसी गरीब भक्त की लड़की की शादी के लिए चुपके से रूपये घर में रख गए। नरसिंहा की कथा आपने सुनी होगी।और कभी किसी भक्त को दुश्मनों के जानलेवा हमलों से बचाया। इसी बालगोपाल ने कितनों को फर्जी मुकदमे से बचाया तो कितनों की सालों पुरानी बीमारियों के दर्द को सेकेंडस में लेकर भाग गए। यही बाल गोपाल है, जो एक्सीडेंट में अपाहिज होने वाली दुर्घटना को मामूली फिसलने वाली घटना में बदल देता है।ये वो ही बालगोपाल है जो भविष्य में होने वाले कैंसर को मामूली बिमारी में बदलकर खत्म कर देता है। ये ऐसा पक्का रिश्ता निभाता है कि चौबिस घंटा आपके साथ ही रहता है और एक बार आप इससे रिश्ता जोड़ लेते हैं तो ये आपको छोड़कर कहीं नहीं जाता है।तो फिर दोस्तों जब चौबिस घंटे का ये अति प्यारा, अति सुंदर, अति मनमोहक हमें बॉडीगार्ड हमारे साथ मिलता है, आपको मैं बता दूं इस दुनिया की हर स्त्री लड्डू गोपाल की माँ और हर आदमी पिता बनने के महा सौभाग्य को निश्चित पा सकता है और अगर घर के मंदिर में आप लड्डू गोपाल को विराजमान करते हैं तो आपको इन बातों का ध्यान रखते हैं।

एक फैमिली मेंबर की तरह उनका आपको ध्यान रखना चाहिए। रोजाना के कामों में नियमों का पालन करना चाहिए। सबसे पहले मन में यह बात बिठाना बहुत जरूरी है कि जीस भी घर में लड्डू गोपाल जी का प्रवेश हो जाता है। वो घर लड्डू गोपाल जी का हो जाता है इसलिए मेरा घर है इस भाव का मन में समाप्ति करें।और लड्डू गोपाल जी का घर है। इस भाव को अपने मन में सबसे पहले आपको घर करना चाहिए। दूसरी बात ये है कि लड्डू गोपाल जी अब आपके परिवार के सदस्य हैं। सच तो ये है कि ये परिवार अब लड्डू गोपाल जी का है इसलिए लड्डू गोपाल जी को परिवार के एक सम्मानित सदस्य का स्थान प्रदान करें।और कोई न कोई नाता जैसे मैंने बोला भाईपुत्र मित्र गुरू कोई भी हो, कोई भी नाता हो बेटा आप जो बनाना चाहें उनको बनाएं और उसी प्रेम और निष्ठा से उस नाते को निभाएं अपने लड्डू गोपाल जी को एक प्यारा सा नाम जरूर दे कोई लडुआ कहता है कोई कान्हा कहता है कोई लाला कहता है जो इच्छा वो नाम आप दे?

पर दे जरूर परिवार के सदस्य की जैसे आप आवश्यकताओं पूरी करते हैं, उसी तरह से एक लड्डू गोपाल जी का आपको हर समय उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखना चाहिए। कोई विशेष तामझाम नहीं करना है। आपको प्रेम और भाव के भूखे हैं। इसलिए जितना प्रेम हो, आपके अंदर जितना भाव आप अर्पित कर सकते हैं बस वो उतना आपके हो जाते हैं।किसी भी घर में प्रवेश के साथ ही लड्डू गोपाल जी की प्राण प्रतिष्ठा हो जाती है। कोई अलग से प्राण प्रतिष्ठा की उनकी जरूरत नहीं होती, इसलिए उनको मात्र प्रतिमा न समझ करके घर के एक सदस्य के रूप में उनके साथ व्यवहार करना चाहिए। उन्हें एक सुंदर सा आसन देना चाहिए।उनकी स्थापना आपको सुंदर से आसन पर करनी चाहिए। आसन लाल, पीले या केसरिया रंग का हो, बेल बूटों से रत्नों से सजा हुआ हो, ये उनको बहुत ही प्रिय होता है।

इसके बाद भगवान के चरण धोये भगवान के चरणों को धोते हैं। उसको पाग कहते हैं।और इसमें शुद्ध पानी भरकर फूलों की पंखुड़ियां उसमें आपको डालनी चाहिए। रोज़ उनको स्नान कराना चाहिए। जैसे हम रोज़ स्नान करते हैं, रोज़ उनको स्नान कराएं। प्रतिदिन सुबहसुबह प्रेमपूर्वक उनको जगाना चाहिए।जागो मोहन प्यारेपियार से एक भजन गाये गीत गाये जो आपको आता है सिर्फ बोले लाला उठ जाओ लाला इस प्रकार से हाथ जोड़कर के लाला के आगे आप हाथों को फैला करके उनको जगाये। आप देखेंगे आपका दिन कितना खूबसूरत होने वाला है।जब आप उनको स्नान कराएँगे इसको हम स्नानीय कहते हैं और उनको स्नान कराने के लिए प्रयोग में आने वाले जो द्रव्य होते हैं पानी, दूध, इत्र और सुगंधित पदार्थ इनको स्नानीय कहते हैं। स्नान कराने के समय आपको ये बात ध्यान रखनी चाहिए।कि जीस तरह घर का कोई भी सदस्य सर्दी में गर्म पानी और गर्मी में ठंडे पानी से स्नान करता है, उसी प्रकार से लड्डू गोपाल जी के स्नान के लिए मौसम के अनुसार पानी का चयन करना चाहिए। स्नान के बाद प्रतिदिन धुले हुए स्वच्छ वस्त्र पहनाएं और ठीक उसी तरह से आपको ड्रेसअप भी करना है जैसे ठंड में ऊनी वस्त्र पहनाते हैं।

गर्मियों में आप सूती वस्त्र पहनते हैं। इसी प्रकार के वस्त्र उनको पहनाने चाहिए। सर्दी गर्मी से बचाव का प्रबंध करना चाहिए। गर्मी के लिए आप उनको कूलर लगा सकते हैं। हाथ के पंखे रखें और मौसम के अनुसार वस्त्र पहनाएं। उनसे बातें करते रहें।जब आप उनका श्रृंगार आदि कर रहे हैं तो लड्डू गोपाल से प्रेमपूर्वक बातें करें। उनके साथ खेले जीस प्रकार। घर के बाकी सदस्यों को आप भोजन कराते हैं उसी प्रकार से उनको भोजन कराएं। पहले लड्डू गोपाल को भोजन कराएं, बाद में स्वयं भोजन करें। अगर आप बीमार नहीं हैं तो आपको ऐसा ही करना चाहिए।बाकी जो डायबेटिक पेशेंट हैं, किसी भी प्रकार की बिमारी से ग्रसित हैं। कोई आप नहीं भूखे रह सकते हैं। इस तरह की समस्या है तो भाई आप माँ हैं, आप लड्डू गोपाल से पहले भी खा सकती हैं। आचमन आपको जरूर आचमनीय जीसको कहते हैं वो आपको लड्डू गोपाल जी के पास हमेशा रखना चाहिए। आचमन क्या होता है?

शुद्धिकरण के लिए प्रयोग में आने वाला जल होता है और इसमें सुगंधित द्रव्य आप थोड़ा सा फूल डालें या फिर आप इत्र की एक बूंद डाल दें। ये आपको डाल करके हमेशा लड्डू गोपाल जी के सामने जरूर रखना चाहिए।इसके बाद आपको भोजन देना है जैसे हमें भूख लगती है, आपको भूख लगती है, उसी तरीके से लड्डू गोपाल जी को भी भूख लगती है। उनके भोजन का ध्यान रखें। भोजन के अलावा सुबह का नाश्ता, शाम की चाय नाश्ते आदि का भी आपको ध्यान रखना चाहिए।हो सके तो रोज़ माखन मिश्री का भोग लगाएं। घर में कोई भी खाने की चीज़ आए, ताम सी चीज़ ना हो, लड्डू गोपाल जी का हिस्सा उसमें जरूर होना चाहिए।

शहद, घी, दही, दूध और शक्कर को मिलाकर जो पंचामृत हम तैयार करते हैं उसे शुद्ध बर्तन में भगवान को भोग लगाना चाहिए।रोज़ करने की जरूरत नहीं है, पर बीच बीच में कम से कम पूर्णिमा के दिन आप ये काम करें। एकादशी के दिन ये काम करें ये बहुत ही लाभदायक होता है, जो भी आप बनाते हैं, भगवान के लिए भोग अगर अलग से बनाते हैं जैसे की जन्माष्टमी वगैरह पे बनाते हैं तो भोग में मिश्री, ताज़ी मिठाइयां, ताजे फल, लड्डू, खीरतुलसी के पत्ते ये तुलसी के पत्ते भगवान के भोग में जरूर शामिल करने चाहिए। इसके बाद होता है अनालेपन पूजा में आप जो भी चीजें चराते है जैसे दुर्वा, कुमकुम, चावल, अबीर, अगर सुगंधित फूल, शुद्ध जल, धूप, दीप आदि।इन सभी चीजों को अनुलेपन कहा जाता है। इनसे आप लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें। श्रीकृष्ण की पूजा में सुगंधित व ताजे फूलों का बहुतबहुत महत्त्व होता है। इसलिए शुद्ध और ताजे फूलों का आपको जरूर प्रयोग करना चाहिए।

बहुत सारे थपेड़ों के अच्छे गोंद और अन्य सुगंधित पदार्थों से बनी धूप या अगरबत्ती भगवान श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय मानी जाती है और इसको आपको रोज़ जलाना चाहिए। चांदी हो, तांबा हो, मिट्टी हो, इन किसी भी चीज़ के बने हुए दीये में गाय का शुद्ध घी डालकर भगवान की आरती कम से कम शाम के समय।आपको विधिविधानपूर्वक जरूर उतारनी चाहिए। एक्चुअली नियम यह होता है कि आप जब मॉर्निंग में श्रृंगार करें, उसके बाद भी आप आरती करें, अगर नहीं कर सकते कम से कम दोनों हाथों को फैलाकर आरती का भाव करके उनकी श्रृंगार आरती आपको जरूर करनी चाहिए।दिनभर आप लड्डू गोपाल जी को खिलौने से खिलाएं। जैसे उनको बाहर घूमने जाते हैं तो कभीकभी लड्डू गोपाल को अपने साथ घूमाने के लिए ले जाए।

समय समय पर आपको लड्डू गोपाल जी को बाहर घूमाने जरूर ले जाना चाहिए और जैसे सभी फीमेल किट्टी पार्टी आदि करती हैं। इनको भी एक मीटिंग बाकी लड्डू गोपाल से जरूर करानी चाहिए।हर दिन रात में दिनभर लड्डू गोपाल थक जाते हैं तो इनको सुलाना जरूर चाहिए। लड्डू गोपाल जी को शयन जरूर कराना चाहिए। खाट ले ले उसपे मुलायम सा तकिया, गादी, चादर या रजाई। जो भी मौसम के अनुसार जरूरत हो उनके और उन्हें बिछाने की ठीक से व्यवस्था करनी चाहिए।जीस प्रकार आप एक छोटे बालक को प्रेम से सुलाते है उसी प्रकार से उनको भी सुलाना चाहिए। उनको थपथपाये उनको लोरी सुनाये और हर जन्म अष्टमी पर लड्डू गोपाल जी की पूजा धूम धाम से होती है। ये तो उनका बर्थडे होता है लेकिन आप जीस दिन उनको घर लेकर के आये है?

अगर वो डेट आपने लिखी हुई है या वो डेट आपको पता है कि जीस दिन लड्डू गोपाल जी ने आपके घर में प्रवेश किया था तो उस तिथि को लड्डू गोपाल जी के जन्मदिन के रूप में मनाकर जैसे बच्चे का जन्मदिन मनाते हैं। हर साल उस तिथि को उनका जन्मदिन जरूर मनाएं।बच्चों को घर पर बुलाए लड्डू गोपाल जी के साथ जन्मदिन मनाए। झूलाझुलाए बच्चों को खिलौने बांटे। और भी जो भी आप करना चाहते हैं वो करें। जो भी आप अपने बच्चों के लिए अपनी श्रद्धानुसार करते हैं। यदि इन बातों का ध्यान दिया जाए तो आप देखेंगे।

लड्डू गोपाल जी बहुत जल्दी आपके घर में आपके मेंबर की तरह हो जाते हैं और आपके जैसे मैंने बताया कि बॉडी गार्ड बन जाते हैं आपके ऊपर कोई विपदा, कोई मुसीबत आपको छू नहीं सकती, ध्यान रखें उनके पास हमेशा उनकी बांसुरी जरूर धरानी चाहिए। उनके पास हो सके।तो मोर का पंख उनको जो पाग पहनते हैं, यानी उनको जो मुकुट चढाते हैं, उसमें आपको मोर का पंख जरूर धराना चाहिए। श्रीमद्भागवत गीता एक उनके पास हमेशा रख के रखनी चाहिए, उसकी पूजा करनी चाहिए और इस बात का ध्यान रखें कि जीस कमरे में लड्डू गोपाल विराजमान हो जहाँ उनका मंदिर हो।वो कमरा कभी भी बंद नहीं किया जाता, इसलिए उस कमरे को या जो भी है उनका जो मंदिर है उसको कभी भी आपको बंद नहीं करना चाहिए। अगर आप किसी काम से बाहर जा रहे हैं तो आपको घबराना नहीं है कि लड्डू गोपाल घर पर बैठे हैं, उनको थोड़े से बंटे में या किसी चीज़ में थोड़ा भोग रख करके।उनको पीछे से खाने के लिए धरा के जाए और अपने घर की चाबी आप बाल गोपाल को सौप कर जाए।

घर की जिम्मेदारी बाल गोपाल को सौप कर जाए। बाल गोपाल को रखने वालों को थोड़ा परहेज रखना चाहिए, तामसिक चीजों का त्याग करना चाहिए और रोजाना उनका स्नान, श्रृंगार, पूजा, अर्चना, भोग, आरती, शयन।ये सभी चीजें जैसे हम अपने बच्चों के लिए करते हैं, वैसे जरूर करने चाहिए। शुरू में भक्त को भावना करनी पी डी डी देती है, लेकिन कुछ दिन बाद जब सही में आपको लड्डू गोपाल का एहसास होने लगेगा फिर उसके कुछ दिन बाद आपको सपने में लड्डू गोपाल के दर्शन होने लगते हैं और फिर कुछ दिन बाद ऐसा महसूस होता है।कि लड्डू गोपाल ने अपने छोटेछोटे मुलायम हाथों से आपको छुआ हो और उसके कुछ दिन बाद लड्डू गोपाल की विशेष कृपा हुई तो उनके अति दुर्लभ दर्शन भी होते हैं। ये कैसा रिश्तेदार है?

बस आपका थोड़ा सा समय जिसमें आप प्रेमपूर्वक उनके साथ खेलेंकूदे।और बदले में वो इतना कुछ देता है कि झोली छोटी प जाती है। घर की गरीबी दूर करने के लिए दुर्भाग्य इसकी मुक्ति के लिए भगवान विष्णु उनके अवतार की पूजा हम करते हैं और उन्हीं में से श्रीहरि की पूजा से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है।विष्णु जी और उनके अवतार कौनकौन से श्रीराम जी श्रीकृष्ण जी, इनकी पूजा में एक बात का खास तौर पर आपको ध्यान रखना चाहिए। जब भी हम श्रीकृष्ण की पूजा करें, मैं स्नान, दान की बात नहीं कर रहा हूँ। जब स्नान आदि करेंगे तो आप उनको अच्छे से स्नान कराएंगे। बाकी जब आप दर्शन करें।भगवान के तो उनकी पीठ के दर्शन आपको कभी नहीं करने चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि इनकी पीठ पर अधर्म का वास होता है। पीठ के दर्शन ना करने के संबंध में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण भगवान की एक बहुत ही प्रचलित कथा है कि जब श्रीकृष्ण जरासंध से युद्ध कर रहे थे।तब जरासंध का एक साथी असुर कालेवन भी भगवान से युद्ध करने के लिए पहुंचा। कालेवन श्रीकृष्ण के सामने पहुँचकर उनको ललकारने लगा तब श्रीकृष्ण वहाँ से भाग निकले और रणभूमि से भागने की वजह से आपको पता होगा।
श्रीकृष्ण भगवान का नाम एक नाम रणछोड़ भी है।जब श्रीकृष्ण भाग रहे थे तो कालेवन भी उनके पीछेपीछे भागने लगा और जैसे भगवान रणभूमि से भागे, क्योंकि कालेवन के पिछले जन्मों के पुण्य बहुत अधिक थे और श्रीकृष्ण किसी को भी तब तक सजा नहीं देते जब तक कि पुण्य का बल शेष रहता है और कृष्ण जी की पीठ देखते हुए कालेवन भागने लगे।इससे उनका अधर्म बढ़ने लगा।

क्योंकि भगवान की पीठ पर अधर्म का वास होता है, उनके दर्शन करने से अधर्म बढ़ता है। जब कालेवन के पुण्य का प्रभाव खत्म हो गया तब श्रीकृष्ण एक गुफा में चले गए। गुफा में जहाँ मुचुकंद नाम का एक राजा निद्रासन में था।मुचुकुंद को देवराज इन्द्र का वरदान था कि जो भी व्यक्ति राजा को नींद से जगाएगा राजा की नजर पड़ते ही वह भस्म हो जाएगा। कालेवन ने मुचुकुंद को कृष्ण जी समझकर उठा लिया और राजा की नजर पड़ते ही राक्षस वहाँ भस्म हो गया। इसलिए भगवान श्रीहरि की पीठ के दर्शन निषेध है।क्योंकि इससे हमारे पुण्य कर्म का प्रभाव कम होता है और अधर्म बढ़ता है। हमेशा विष्णु भगवान के मुख की ओर से ही उनका दर्शन करना चाहिए। श्रीहरि की पीठ के दर्शन करने से अधर्म बराच जाता है और इस मुक्ति से इस पाप से मुक्ति के लिए कठिन चन्द्रयाण व्रत करना पड़ी ढहता है।इस व्रत के कई नियम बताए जाते हैं।
जैसेजैसे चंद्र घटता है, ठीक उसी प्रकार से खानपान में कटौती करनी पड़ती है। अमावस्या के दिन निराहार रहना पड़ी डेहता है अमावस्या के बाद जैसेजैसे चाँद भरेगा उसी तरह से खानपान में बढ़ोतरी की जाती है और पूर्णिमा के बाद ये व्रत पूर्ण होता है।ऐसा करने पर भक्त की आराधना से श्री हरि प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। इसलिए ट्राई करें ऐसा व्रत करने की नौबत ही ना आने दे। आपको विष्णु भगवान के किसी भी प्रतिरूप की चाहे वो लड्डू गोपाल हो, आपको कहीं लाला हो, कृष्ण भगवान हो,

कहीं पर भी श्री राम जी हो।या विष्णु भगवान का मंदिर हो, उनके पीठ के दर्शन ना करें। दोस्तों जोड़ लीजिए ऐसे रिश्तेदार से ये खूबसूरत सा रिश्ता हर इंसान अकेला है और जरूरत के वक्त ये कृष्णा ही है। हमारे बाल गोपाल हैं, जो हमेशा हमारे साथ होते हैं। बस एक बार जरूरत है सच्चे विश्वास की।अपने फ्रेन्ड फैमिली, मम्मी, पापा, भाई, बहन, बच्चे सभी लोगों से इन्हें जरूर शेयर करे, क्योंकि हमें नहीं पता कौन सी वीडियो कब किसकी लाइफ बदल दे। ये वीडियो आप सभी के स्पेशल डिमांड पर दोस्तों खिलखिलाते रहे मुस्कुराते रहे।सब्सक्राइब करके रखें ताकि आप और मैं आने वाले वीडियो के थ्रू कनेक्टेड रहें। लव यू ओनल टेक केयर, राधे राधे, जय श्रीकृष्ण लाइक जरूर करें।

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