न्याय पी डी नाइक ने एकल पीठ पर फैसला सुनाते हुए कहा कि अख्तर की शिकायत पर मुकदमा पहले ही शुरू हो चुका है, इसलिए रनौत द्वारा मांगी गई राहत इस स्तर पर नहीं दी जा सकती है। रनौत ने पिछले महीने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अख्तर की 2020 की मानहानि शिकायत पर रोक लगाने की मांग की थी और साथ ही उनके द्वारा अख्तर के खिलाफ दायर मानहानि शिकायत को भी साथ-साथ सुने जाने का अनुरोध किया था।
अदालत ने कहा कि अख्तर की शिकायत समय के हिसाब से पहले थी और अंधेरी के मजिस्ट्रेट के समक्ष चल रहे मुकदमे के कारण रनौत को कोई राहत नहीं दी जा सकती। हालांकि अख्तर ने रनौत के खिलाफ दायर किया गया मानहानि का मामला जारी है, वहीं सेशन कोर्ट ने रनौत की अख्तर के खिलाफ दायर शिकायत पर रोक लगा दी है।
रनौत ने तर्क दिया कि दोनों मामले 2016 में अख्तर के साथ एक बैठक से उपजे हैं और उन्हें एक साथ ही सुना जाना चाहिए। अख्तर ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि रनौत ने मजिस्ट्रेट अदालत के किसी आदेश को चुनौती नहीं दी और बिना किसी वैध आधार के रोक की मांग की।
अख्तर की मानहानि शिकायत में आरोप लगाया गया था कि रनौत ने उन्हें 2020 के एक साक्षात्कार के दौरान सुशांत सिंह राजपूत की मौत में शामिल करके उनकी मानहानि की है। इसके जवाब में रनौत ने 2021 में अख्तर के खिलाफ आपराधिक धमकी और शीलभंग का आरोप लगाते हुए जवाबी शिकायत दर्ज कराई थी।