नवरात्रि के किसी भी दिन इस पेड़ को छूकर आ जाना उसी टाइम गरीबी मिट जायेगी ? आगे आपकी मर्जी Navratri
नवरात्रि के किसी भी दिन इस पेड़ को छूकर आ जाना उसी टाइम गरीबी मिट जायेगी ?
दोस्तों आज के इस वीडियो में हम आपको एक ऐसे चमत्कारी पेड़ के बारे में बताएंगे जिससे आप भी अपनी गरीबी खत्म करने का उपाय करके माता रानी को प्रसन्न कर सकते हैं। दोस्तों वीडियो शुरु करने से पहले आप धर्म कथाएं चैनल में नए हैं तो चैनल को सबस्क्राइब जरुर कर लीजिए और वीडियो को लाइक करके कमेंट बॉक्स में जय माता रानी लिखकर माता का जयकारा जरुर लगांए। तो दोस्तों शुरु करते हैं।
नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, क्योंकि यह देवी दुर्गा की पूजा का समय होता है। इस समय के दौरान, नवरात्रि से जुड़ी विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताएँ प्रचलित होती हैं, और कई लोग मानते हैं कि इस अवधि में देवी की उपासना से समृद्धि, शांति और शक्ति प्राप्त होती है।
विभिन्न पुराणों और धर्मग्रंथों में कुछ वृक्षों के प्रति विशेष श्रद्धा व्यक्त की गई है। ऐसा ही एक पेड़ है, जिसे नवरात्रि के दिनों में छूने या पूजने से गरीबी, शत्रु दोष, कर्ज़ दोष और जीवन के अन्य कष्ट समाप्त होने का विश्वास है। इस वीडियो में हम इस वृक्ष की आध्यात्मिक महिमा, नवरात्रि के महत्व, वृक्ष पूजन की प्रक्रिया और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो प्रति वर्ष दो बार आता है। शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि मुख्य रूप से मनाई जाती हैं। यह पर्व 9 दिनों तक चलता है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का तात्पर्य ‘नौ रातें’ होता है, और इस दौरान उपवास, पूजा, ध्यान और साधना के माध्यम से देवी का आह्वान किया जाता है।
नवरात्रि को शक्ति की देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने महिषासुर नामक असुर का वध कर धर्म और सत्य की रक्षा की थी। देवी दुर्गा को शक्ति, समृद्धि, और शांति का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के दौरान लोग देवी से अपने जीवन में इन गुणों की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
वृक्ष पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में प्रकृति का विशेष महत्व है, और विशेष रूप से वृक्षों को पूजनीय माना जाता है। वट वृक्ष (बड़), पीपल, अशोक और तुलसी जैसे कई वृक्षों को धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। इनमें से प्रत्येक वृक्ष का अपना विशेष आध्यात्मिक महत्व है।
वृक्ष पूजा हिंदू धर्म का एक अभिन्न हिस्सा है, क्योंकि वृक्षों को जीवन का प्रतीक माना जाता है। भारतीय संस्कृति में वृक्षों को देवी-देवताओं का निवास माना गया है। जैसे तुलसी को लक्ष्मी का स्वरूप, पीपल को विष्णु और बड़ को त्रिदेवों का निवास स्थान माना गया है। इन वृक्षों के संपर्क में आने से मानव जीवन में शांति, सुख-समृद्धि और संकटों का नाश होता है।
वह विशिष्ट वृक्ष: कौन सा है वह वृक्ष?
पुराणों और विभिन्न धर्मग्रंथों में बताया गया है कि नवरात्रि के किसी भी दिन यदि कोई व्यक्ति ‘पीपल वृक्ष’ को स्पर्श करता है या उसकी पूजा करता है, तो उसकी गरीबी दूर हो जाती है और कर्ज़ से मुक्ति मिलती है।
पीपल का वृक्ष** हिंदू धर्म में अत्यधिक पूजनीय है। इसे विष्णु भगवान का स्वरूप माना जाता है और यह माना जाता है कि पीपल वृक्ष के नीचे पूजा या ध्यान करने से व्यक्ति को विशेष रूप से पुण्य मिलता है। इसके अतिरिक्त, पीपल वृक्ष से जुड़े कुछ विशेष लाभ माने जाते हैं:
कर्ज़ दोष का नाश**: यदि किसी व्यक्ति पर भारी कर्ज़ है, तो नवरात्रि के दिनों में पीपल वृक्ष को जल अर्पण करने और उसके नीचे बैठकर ध्यान करने से कर्ज़ दोष का नाश होता है।
गरीबी का अंत**: जिन लोगों के जीवन में आर्थिक समस्याएँ हैं, वे नवरात्रि के किसी भी दिन पीपल वृक्ष को स्पर्श कर गरीबी से मुक्ति पा सकते हैं। इसके साथ ही, वृक्ष के नीचे बैठकर देवी दुर्गा की आराधना करने से विशेष फल मिलता है।
शत्रु दोष का अंत**: नवरात्रि के दिनों में पीपल के वृक्ष की पूजा करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं। शत्रु बाधाएँ और विरोध समाप्त हो जाती हैं, और व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
पीपल वृक्ष की पूजा विधि
नवरात्रि के किसी भी दिन पीपल वृक्ष की पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। पूजा की विधि निम्नलिखित है:
स्नान और शुद्धि**:
सर्वप्रथम, पूजा करने से पहले सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को साफ करें और वहाँ आवश्यक पूजा सामग्री रखें।
वृक्ष के पास जाएं**:
नवरात्रि के दौरान किसी भी दिन पीपल वृक्ष के पास जाएं। अगर आपके आस-पास कोई पीपल वृक्ष नहीं है, तो आप मंदिर में या किसी पवित्र स्थान पर पीपल की प्रतिमा या तस्वीर रखकर भी पूजा कर सकते हैं।
जल और दीपक अर्पित करें**:
पीपल वृक्ष के नीचे जल अर्पित करें और उसके सामने घी का दीपक जलाएं। आप पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से वृक्ष का अभिषेक भी कर सकते हैं।
मंत्र जाप**:
पीपल वृक्ष की पूजा करते समय ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें। इस मंत्र के जाप से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त, आप दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं।
नारियल और फल अर्पण**:
पीपल वृक्ष को नारियल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें। इसके साथ ही, वृक्ष के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें।
संकल्प लें**:
पूजा के दौरान भगवान विष्णु और देवी दुर्गा का ध्यान करते हुए संकल्प लें कि आप अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए यह पूजा कर रहे हैं।
पीपल वृक्ष के धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ
पीपल वृक्ष को केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इसकी विशेषताओं को जानने से यह स्पष्ट होता है कि क्यों इसे पवित्र माना जाता है:
– **ऑक्सीजन का स्रोत**: पीपल का वृक्ष 24 घंटे ऑक्सीजन प्रदान करता है, जो पर्यावरण को शुद्ध करता है और जीवन शक्ति को बढ़ाता है। यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।
– **मानसिक शांति**: पीपल के वृक्ष के नीचे बैठने से मन को शांति मिलती है और ध्यान करने पर ध्यान केंद्रित रहता है। यह व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक लाभ प्रदान करता है।
– **आध्यात्मिक ऊर्जा**: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के वृक्ष में देवी-देवताओं का वास होता है, जिसके कारण इसके संपर्क में आने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
कर्ज़ मुक्ति के उपाय
यदि कोई व्यक्ति कर्ज़ से परेशान है, तो नवरात्रि के दौरान पीपल वृक्ष की पूजा करने के साथ-साथ निम्नलिखित उपाय भी कर सकता है:
– **पीपल वृक्ष के पत्ते**: नवरात्रि के दिन पीपल के पत्ते तोड़कर उन्हें अपने पूजा स्थान में रखें और प्रतिदिन देवी लक्ष्मी का ध्यान करें। इससे कर्ज़ से मुक्ति प्राप्त होती है।
– **जल अर्पण**: प्रतिदिन पीपल वृक्ष के नीचे जल अर्पित करने से कर्ज़ का भार कम होता है। इसके साथ ही, जीवन में आर्थिक समृद्धि आती है।
– **सात बार परिक्रमा**: नवरात्रि के दिनों में पीपल वृक्ष के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें।
शत्रु दोष से मुक्ति
नवरात्रि के दिनों में पीपल के वृक्ष की पूजा करने से शत्रु दोष भी समाप्त होता है। पीपल को स्पर्श करने और उसकी पूजा करने से शत्रु बाधाओं का नाश होता है।
– **पीपल वृक्ष की पूजा**: नवरात्रि के दिनों में पीपल वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति के शत्रु शांत होते हैं।
नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह पूजा सरल से लेकर विस्तृत रूप में की जा सकती है। घर में माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करके श्रद्धालु उन्हें विभिन्न भोग, पुष्प, और वस्त्र अर्पित कर सकते हैं। माँ दुर्गा की आराधना के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती, देवी महात्म्य और श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करना अति शुभ माना जाता है। इस पूजा के दौरान निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
नौ दिनों का व्रत: नवरात्रि में नौ दिनों का व्रत रखने का विशेष महत्व है। यह व्रत तन और मन दोनों की शुद्धि के लिए किया जाता है। व्रत के दौरान श्रद्धालु केवल फलाहार या एक समय भोजन करके देवी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही, संयमित जीवनशैली अपनाने से शारीरिक और मानसिक शक्ति मिलती है।
घटस्थापना: नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जिसमें मिट्टी के पात्र में जौ बोया जाता है और कलश स्थापित किया जाता है। कलश में जल भरकर उसके ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखे जाते हैं। इसे नौ दिनों तक पूजा स्थल पर रखा जाता है, और देवी का आह्वान किया जाता है।
देवी के नौ रूपों की पूजा: प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ रूपों के अलग-अलग प्रतीक और महत्व होते हैं, और प्रत्येक दिन उनसे जुड़ी विशेष पूजा और भोग अर्पित किए जाते हैं।
शैलपुत्री – पहला दिन
ब्रह्मचारिणी – दूसरा दिन
चंद्रघंटा – तीसरा दिन
कूष्मांडा – चौथा दिन
स्कंदमाता – पांचवां दिन
कात्यायनी – छठा दिन
कालरात्रि – सातवां दिन
महागौरी – आठवां दिन
सिद्धिदात्री – नौवां दिन
2. नवरात्रि के लिए विशेष उपाय
(i) आर्थिक समृद्धि के लिए उपाय
नवरात्रि के दिनों में धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं:
कमल के फूल से पूजा: नवरात्रि के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा कमल के फूलों से करें। कमल देवी लक्ष्मी का प्रिय फूल है, और इसे अर्पित करने से घर में धन का आगमन होता है।
चांदी का सिक्का: नवरात्रि के पहले दिन चांदी का सिक्का या सोने का सिक्का खरीदकर देवी लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें और नौ दिनों तक उनकी आराधना करें। दसवें दिन उस सिक्के को तिजोरी में रखें, जिससे घर में धन वृद्धि होगी।
सफेद कपड़े पहनें: धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए नवरात्रि के दिन विशेष रूप से सफेद कपड़े पहनें। यह रंग शांति और समृद्धि का प्रतीक होता है। सफेद वस्त्र धारण कर देवी की पूजा करने से धन संबंधी समस्याएँ दूर होती हैं।
नारियल अर्पण: नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा को नारियल अर्पित करने से घर में आर्थिक संपन्नता आती है। नारियल को देवी का प्रिय फल माना जाता है और इसे अर्पित करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
(ii) शत्रु बाधा और संकट से मुक्ति के उपाय
नवरात्रि के दौरान शत्रु बाधा और जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति पाने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:
रुद्राक्ष धारण करें: नवरात्रि के दिनों में रुद्राक्ष धारण करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह न केवल शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि शत्रु बाधाओं को भी समाप्त करता है।
हनुमान चालीसा का पाठ: नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा के साथ-साथ प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से शत्रु दोष का नाश होता है और जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
कालरात्रि की पूजा: नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा करने से शत्रु और विरोधी शांत हो जाते हैं। कालरात्रि का नाम ही उनके विनाशकारी स्वरूप को प्रकट करता है, और उनकी पूजा करने से जीवन के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं।
(iii) कर्ज़ से मुक्ति के उपाय
यदि कोई व्यक्ति कर्ज़ से परेशान है और उसे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, तो नवरात्रि के दौरान निम्न उपाय करने से कर्ज़ से मुक्ति मिल सकती है:
पीपल वृक्ष की पूजा: नवरात्रि के किसी भी दिन पीपल वृक्ष की पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। पीपल को जल अर्पण करें और उसके नीचे बैठकर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें। यह उपाय कर्ज़ से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
काले तिल का दान: नवरात्रि के दिन काले तिल का दान करने से कर्ज़ का नाश होता है। तिल के साथ-साथ कुछ अन्य वस्त्र और अनाज का दान भी करें।
वट वृक्ष की पूजा: वट वृक्ष (बड़ के पेड़) की पूजा भी कर्ज़ से मुक्ति के लिए प्रभावी मानी जाती है। वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पण करके नौ बार परिक्रमा करें और अपनी आर्थिक समस्याओं से मुक्ति की प्रार्थना करें।
(iv) स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए उपाय
नवरात्रि के दौरान स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
हल्दी का तिलक: नवरात्रि के दिन हल्दी का तिलक अपने माथे पर लगाने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। हल्दी में औषधीय गुण होते हैं, और इसे धार्मिक दृष्टिकोण से भी शुभ माना जाता है।
गाय के घी का दीपक जलाएं: नवरात्रि के दिनों में गाय के घी का दीपक जलाकर देवी दुर्गा की पूजा करें। यह उपाय शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है।
नवग्रह यंत्र की स्थापना: नवरात्रि के दौरान नवग्रह यंत्र की स्थापना करने और उसकी पूजा करने से स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त होती है। नवग्रहों की शांति के लिए यंत्र पूजा विशेष रूप से लाभकारी होती है।
3. नवरात्रि के नौ दिन और उनके विशेष उपाय
पहला दिन – शैलपुत्री की पूजा
पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यह देवी का पर्वतों से संबंध होने के कारण शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। इस दिन के उपाय:
सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
दूध का भोग अर्पित करें।
इस दिन रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है।
दूसरा दिन – ब्रह्मचारिणी की पूजा
दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो तपस्या और संयम की प्रतीक हैं। इस दिन के उपाय:
पीले रंग के वस्त्र पहनें।
चीनी या मिश्री का भोग अर्पित करें।
विशेष रूप से इस दिन व्रत रखें।
तीसरा दिन – चंद्रघंटा की पूजा
तीसरे दिन चंद्रघंटा की पूजा होती है। यह देवी शत्रु नाशक मानी जाती हैं।
लाल या सुनहरे वस्त्र पहनें।
गुड़ का भोग अर्पित करें।