पेटीएम में उथलपुथल मची है। एक के बाद एक बड़े निवेशक कंपनी से बाहर निकल रहे हैं। हाल ही में वॉरेन बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे ने भी पेटीएम में अपना पूरा हिस्सा 1,370 करोड़ रुपये में बेच दिया, जिससे उन्हें अनुमानित 600 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। इससे पहले जैक मा जैसे दिग्गज निवेशक भी पेटीएम से निकल चुके हैं।
2010 में विजय शेखर शर्मा द्वारा स्थापित पेटीएम ने भारत में डिजिटल भुगतान को क्रांति दी थी। लेकिन हाल ही में कंपनी पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। कंपनी के आईपीओ के बाद से ही उसके शेयरों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। गौरतल अंश, सॉफ्टबैंक, जैक मा और अब बर्कशायर हैथवे सभी पेटीएम से बाहर निकल चुके हैं।
इन सब परेशानियों के बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक की बैंकिंग सेवाओं पर 29 फरवरी, 2024 से रोक लगा दी है। RBI के इस आदेश के बाद नए ग्राहकों को जोड़ने, खातों, वॉलेट और फास्टैग में जमा राशि या टॉप-अप स्वीकार करने पर रोक लगा दी गई है। बता दें, यह कार्रवाई RBI के बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत की गई है।
RBI की कार्रवाई के बाद दो दिनों में पेटीएम के शेयरों में 40% की गिरावट आई है। हालांकि, विजय शेखर शर्मा ने उपयोगकर्ताओं को आश्वस्त किया है कि प्लेटफॉर्म पहले की तरह ही काम करता रहेगा। लेकिन पेटीएम के बाजार पूंजीकरण पर इसका भारी असर पड़ा है, जो 38,670 करोड़ रुपये से घटकर 30,940 करोड़ रुपये रह गया है।
विजय शेखर शर्मा ने एक बयान में उपयोगकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि पेटीएम ऐप हमेशा की तरह काम करेगा और उनकी टीम ईमानदारी और समर्पण के साथ राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, पेटीएम के सामने अभी भी कई चुनौतियां हैं, क्योंकि उसे नियामकीय जांच और निवेशकों की चिंताओं का सामना करना पड़ रहा है।