धर्म कथाएं

2024 में सावन का महीना कब है और कितने सोमवार पढ़ेंगे? सावन की समाप्ति कब है तथा रक्षा बंधन कब है और व्रत का पालन कैसे करें?

सावन के पवित्र महीने में अचानक से घर में काला सांप निकल आए तो बहुत ही शुभ माना गया है। इसे बिल्कुल भी ना मारे। ये भगवान शिव के आने का संकेत है जिनकी भक्ति से महादेव प्रसन्न होते हैं तब महादेव किसी खास अवसर पर ही अपने दर्शन देते हैं।

व्रत में कौन सी चीजें नहीं खानी चाहिए और एक ऐसा उपाय हम इस वीडियो में बताएंगे जिससे आपकी भोले बाबा की कृपा से सात जन्मों की परेशानी भी दूर हो जाएगी। जानिए सब कुछ इस वीडियो में सबसे पहले सुंदर सी इस वीडियो को लायक करके कमेंट में लिख दे हर हर महादेव ओम नम शिवाय दोस्तों सावन का महीना शिव भक्तों के लिए प्यार की सौगात लेकर आता है। यहीवो महीना है जिसे हम प्यार का महीना भी कहते हैं। पक्षियों की चेहचाहट मधुर संगीत में बदल जाती है।

वर्षा ऋतुओं का आगमन होता है, प्रकृति जगमग्न हो जाती है, खूबसूरत शब्दों में आपस में बातें करती है। साथ ही साथ शिव भक्त बड़े जोरों शोरों के साथ सावन के महीने का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। सावन में भगवान शिव धरती पर आकर अपने हर भक्त के घर में वास करते हैं और उनकी सच्ची भक्ति से धन धान्य करते हैं।सावन का हर 1 दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। हर दिन पवित्र होता है। हर दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है, लेकिन सोमवार के व्रत की बात ही कुछ और होती है। पवित्र और शुभ दिन होता है। सोमवार का दिन इस दिन वृद्धा आ्रत रखकर सम्पूर्ण फलों की प्राप्ति करते है और अगले दिन सावन के पवित्र महीने में फिर से सोमवार के व्रत के आने की कामना करते हैं ताकि सावन में हम व्रत का फिर से सम्पूर्ण पालन और फल प्राप्त कर सके।

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दोस्तों आपको बता दें इस बार सावन का महीना 2024, 22 जुलाई और सोमवार के दिन पड़ेगा। सावन की समाप्ति होगी 19 अगस्त के दिन और सावन के आखिरी सोमवार के दिन ही 19 अगस्त यानी सोमवार के दिन ही रक्षा बंधन का त्योहार भी मनाया जाएगा। दोस्तों अब जानते हैं सावन के इस पवित्र महीने में कितने सोमवार पड़ेंगे और आपको कितने व्रत रखने हैं आइए जानते हैं जानते हैं सावन मास का पहला दिन 22 जुलाई दिन सोमवार है। पहले ही दिन सावन में सोमवार पढ़ने से चार चाँद लग गए हैं। सावन का दूसरा सोमवार व्रत 29 जुलाई दिन सोमवार है। तीसरा सोमवार व्रत 5 अगस्तसावन का पवित्र चौथा व्रत 12 अगस्त के दिन पड़ेगा और 19 अगस्त को पांचवा सोमवार है।

दोस्तों। ऐसे में कुल मिलाकर पांच सोमवार पढ़ेंगे और अंत में 19 अगस्त यानी सोमवार के दिन सावन समाप्त हो जाएंगे। दोस्तों। ऐसे में हम जानते हैं सावन के इस पवित्र महीने में कौन सी गलती नहीं करनी चाहिए जिससे कि शिव नाराज ना हो और सावन व्रत में ये फल तो कभी मत खाना नहीं तो भगवान भोले बाबा आपसे क्रोधित हो सकते हैं। आपका व्रत टूट सकता है। आइए जानते हैं।कुछ ऐसी सावधानियां जिसे भूल कर भी नहीं करना चाहिए कि दोस्तों नंबर एक शास्त्रों में कहा गया है कि वृद्ध धारी को उधार मांग कर फल आदि नहीं खाने चाहिए। इससे पाप लगता है और व्रत अधूरा रह जाता है।

सोमवार का व्रत हो या कोई भी व्रत क्यों ना हो, पड़ोसियों से मांग कर भी व्रत आदि में फल वगैरह नहीं खाने चाहिए। व्रत में उधार मांग कर खाने से व्यक्ति का व्रत झूठा हो जाता है।ईश्वर की शरण में आने पर व्यक्ति को झूठ नहीं बोलना चाहिए। कर्ज नहीं लेना चाहिए। चुगली आंधी नहीं करनी चाहिए। उधार मांग कर भी नहीं खाना चाहिए। अगर आपको कोई अपनी मर्जी से खाने के लिए व्रत में कुछ देता है तो उसे आप खा सकते हैं, लेकिन व्रत में कम से कम उधार मांग कर फल आदि नहीं खाना चाहिए।

इससे पाप लगता है और व्यक्ति की पवित्रता भंग हो जाती है। दोस्तों नंबर दो सोमवार का व्रत हो या सावन का व्रत आपको नाशपाती नहीं खाना चाहिए। दरअसल इस फल का नाम नाश यानी नाश करने वाला होता है इसलिए इस फल को व्रत में नहीं खाना चाहिए।व्रत आदि को छोड़कर किसी और दिन आप कभी भी खा सकते है। लेकिन अगर जीस दिन आपका व्रत हो उस दिन नाशपाती का सेवन नहीं करना चाहिए। भगवान को भी नाशपाती नहीं चढाना चाहिए। दोस्तों नंबर तीन कुत्तों या सिंगाड़े का आटा खाने से भी आपका व्रत टूट सकता है। आपको बता दें लंबे समय से रखा हुआ आटा आपका व्रत भंग कर सकता है।

दरअसल पुराने आटे में धुनादी, कीड़े वगैरह पड़ जाते हैं जो ठीक तरह से दिखाई भी नहीं देते। ऐसा आटा खाने पर दरअसल आप मांस का सेवन करते हैं।और व्रत में कीड़े खाना घोर पाप के बराबर माना गया है और आपका व्रत भी भंग हो जाता है। व्रत में ताजा आटा खाना चाहिए। लंबे समय से रखे हुए आटे में कीड़े पड़ जाते हैं। ऐसा कभी ना करें। व्रत हमेशा शुद्धता में ही रखना चाहिए। सावन का महीना बड़ा ही पवित्र महीना माना गया है। इसीलिए ये पांच चीजें भगवान शंकर के पास कभी ना रखें।

LORD SHIVA- THE SUPREME GOD
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तो चलिए जानते हैं दोस्तों नंबर एक।जहाँ रखा हो शिवलिंग या महादेव की कोई भी प्रतिमा तो वहाँ पर भूल कर भी चप्पल जूते लेकर नहीं जाना चाहिए। ज़रा सोचिए जब आपके कमरे में कोई चप्पल लेकर प्रवेश करता है तो आपको कितना क्रोध आता है? इसी कारण महादेव भी आपसे नाराज हो जाते हैं और आपको मिलने वाला फल नष्ट हो जाता है। ऐसे में मंदिर में नंगे पांव ही प्रवेश करना चाहिए क्योंकि चमड़े की चप्पल हमेशा अशुद्ध रहती है।इससे देव शक्ति नाराज होती है। दोस्तों नंबर दो अक्सर महिलाओं को मासिक धर्म आ जाता है और वो बिना किसी को बताए पूजा पाठ कर लेती है, जो की शास्त्रों में वर्जित माना गया है।

इस समय महिलाओं को जानकर भी अनजान नहीं बनना चाहिए। अगर आपको मासिक पीड़ा है तो घर के बने मंदिर में या बाहर बने मंदिर में कभी प्रवेश नहीं करना चाहिए। इससे देव शक्तियां नाराज होकर आपसे क्रोधित हो सकती है। ऐसे समय में शिवलिंग को छूना घोर पाप के बराबर माना गया है। ज़रा सोचिए ऐसी अवस्था में जब महिला को बुरा लगता है तो ईश्वर को कितना बुरा लगेगा?महिलाओं को ऐसी अवस्था में मंदिर यात्रा, घर में पूजा पाठ, भगवान की प्रतिमा को छूना या तुलसी में पानी भी नहीं डालना चाहिए। तुलसी का पौधा भी सूख जाता है। जब देव शक्तियां नाराज होती है तो लाजमी है कि घर में कंगाली और गरीबी लड़ाई झगड़े होने लगते हैं।

ऐसा कभी मत करना दोस्तों नंबर तीन शास्त्रों में बताया गया है कि जहाँ होता है शिवलिंग तो वहाँ पर सभी शक्तियां सक्रिय रहती हैं। अगर घर में होता है शिवलिंग तो वह व्यक्ति महादेव की कृपा सदैव पा लेता है।वास्तु शास्त्र के अनुसार शिवलिंग से हर वक़्त ऊर्जा का संचार होता रहता है। इसीलिए शिवलिंग पर जल धारा हमेशा होनी चाहिए जो ऊर्जा को शांत रखता है। कुछ लोग अपने घर में शिवलिंग तो रख लेते हैं लेकिन वो एक हफ्ते के बाद जल चढ़ाते हैं जो कि बिलकुल भी अच्छा नहीं माना जाता। अगर आप जल नहीं चढ़ा सकते तो आप अपने घर में शिवलिंग स्थापित कभी ना करें।

जो की गरुड़ पुराण में बताया गया है इससे उल्टा घर में विनाश होता है। दोस्तों नंबर चार शास्त्रों में बताया गया है कि तुलसी और महादेव का बैर माना गया है। इसी कारण तुलसी में शिवलिंग और गणेश की प्रतिमा को नहीं रखा जाता। कई लोग जाने अनजाने में शिवलिंग को तुलसी में रख देते हैं और घर में परेशानियां आना शुरू हो जाती हैं। इससे महाशक्तियां क्रोधित हो जाती हैं। शिवलिंग पर तुलसी भी नहीं चराना चाहिए।तुलसी में और शिवलिंग में कुछ दूरी होनी चाहिए।

दोस्तों नंबर पांच घर का मंदिर या बाहर का मंदिर किसी भी मंदिर में ऐसे व्यक्ति को प्रवेश नहीं करना चाहिए जिसने स्त्री प्रसंग अर्थात संभोग किया हो या उसने मांस खाया हो। अगर आप शारीरिक रूप से गंदे हैं तो मंदिर के आसपास भी नहीं जाना चाहिए। घर के बने मंदिर में कोई कपड़ा आदि डाल देना चाहिए। ज़रा आप ही सोचिए।क्या आप मांस खाकर या स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाकर भगवान के पास जाएंगे और क्या वो आपसे प्रसन्न होंगे?
बिल्कुल भी नहीं। वो आपसे क्रोधित हो सकते हैं और आपसे नाराज हो जाएंगे। शास्त्रों में इसे घोर पाप माना गया है। इससे व्यक्ति नरक में जाता है। ऐसा दुष्ट स्वभाव मनुष्य की बर्बादी का कारण माना गया है। ऐसा ना करें ईश्वर के सामने हमेशा नाहा धोकर मन पवित्र लेकर ही जाना चाहिए।इससे सभी शक्तियां आपसे प्रसन्न रहती हैं।

दोस्तों सावन के महीने में महादेव को ऐसे बेलपत्र कभी मत चराना बहुत ही अशुभ माना जाता है। दोस्तों पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बेलपत्र चराने से शिवजी का मस्तक शीतल रहता है। बेल पत्र से भगवान शिव की पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है और व्यक्ति सौभाग्यशाली बनता है। इससे हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं क्योंकि वे शिव के।ही अवतार हैं और इस बात को शायद ही कोई जानता हो। दोस्तों, पहले आप ये जाने की बेल पत्र का उपयोग और इसके लाभ कैसे मिलते हैं?

दोस्तों नंबर वॅन तीनों लोगों में जीतने तीर्थ स्थल प्रसिद्ध हैं। वे सभी तीर्थ स्थल बेल पत्र के मूल भाग में स्थित माने जाते हैं। इस बात को शायद ही कोई जानता हो। दोस्तों नंबर टू यदि बेल का वृक्ष घर के बीचोबीच या पूर्व दिशा में लगा हो तो घर में धन धाम की कोई भी कमी नहीं रहती।और परिजन खुशहाल रहते हैं। दोस्तों नंबर थ्री जो व्यक्ति बेल के वृक्ष के मूल भाग की गंध, पुष्प आदि से पूजा अर्चना करता है, उसे मृत्यु के पश्चात शिव लोक की प्राप्ति होती है। दोस्तों अब जानते हैं बेल पत्र से जुड़ी कुछ खास बातें चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए।

पूजा से 1 दिन पूर्व ही बेल पत्र तोड़कर रख ले दोस्तों आपको बता दें बेल पत्र कभी अशुध नहीं होते। यदि आप को पूजा के लिए नया बेल पत्र नहीं मिल रहे हैं तो आप किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को स्वच्छ जल से धोकर भगवानशिव को अर्पित कर सकते हैं।दोस्तों बेल पत्र में तीन पत्तियाँ होनी चाहिए। कटी फटी पत्तियों का बेलपत्र भगवान शिव को अर्पित गलती से भी मत करना कटी फटी पत्तियों को अर्पित करने से शिव का अपमान माना जाता है और बेल पत्र का भी। इस लिए बेल पत्र की पत्तियाँ एकदम साफ़ होनी चाहिए।

दोस्तों सावन के इस पवित्र महीने में अगर जीस व्यक्ति को पांच संकेत मिल जाए तो इससे ये पता चलता है की महादेव आपकी भक्ति से बहुत प्रसन्न है और आपको धनी होने से कोई भी नहीं रोक सकता। तो चलिए जानते है।दोस्तों नंबर एक बैल का दरवाजे पर आना नंदी महाराज भगवान भोलेनाथ के वाहन है। नंदी को भगवान शिव का द्वारपाल भी कहा गया है। नंदी महाराज को बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना गया है। शिव के मंदिर के बाहर हमेशा नंदी महाराज विराजित रहते है, लेकिन अगर सावन के इस पवित्र महीने में अचानक से नंदी महाराज आपके दरवाजे पर आ जाए और घर की चौखट को सींग मारने लगे।तब आपको समझ लेना चाहिए कि भगवान शिव आपके घर में आने वाले हैं जो कि ये एक उनके आने का संकेत है। भगवान शिव आपकी भक्ति से बहुत प्रसन्न है और आपके घर में खुशियां आने वाली है। आपको धनी होने से कोई नहीं रोक सकता, लेकिन याद रहे नंदी महाराज को तिलक लगाकर मीठा भोग जरूर खिलाएं।

दोस्तों नंबर दो सावन के पवित्र महीने में अचानक से आपके सपनों में अगर शिवलिंग दिखाई दे जाए।अर्थात भगवान शिव दिखाई दे जाए तो इसे आपको ये समझना चाहिए कि अब आपके जीवन से परेशानियों का अंत जल्दी हो जाएगा। भगवान शिव आपकी सच्ची आराधना भक्ति से बहुत खुश है और वो आपके घर में आने वाले हैं। ऐसे में याद रहे शिव की भक्ति में कोई भी कमी नहीं आनी चाहिए। घर को गंदा मत रखना क्योंकि आपके घर में भगवान शिव आने वाले हैं।

दोस्तों नंबर तीन शास्त्रों के अनुसार माना गया है कि नीलकंठ भगवान शिव का प्रतीक है।अगर आपके घर में सावन के महीने में नीलकंठ छत पर आकर बैठ जाए तो उसे भूल कर भी मत भगाना, क्योंकि ये भगवान शिव का प्रतीक माना गया है। ऐसे में आपको खुश होना चाहिए क्योंकि भगवान शिव आपकी भक्ति से बहुत खुश है। शास्त्रों में बताया गया है कि नीलकंठ अगर मनुष्य के घर पर आकर बैठ जाए तो साक्षात घर में महाशिव के आने के संकेत माने गए हैं। अब आपके बुरे दिन जाने वाले हैं।कहते हैं श्री राम ने इस पक्षी के दर्शन करने के बाद ही रावण पर विजय प्राप्त की थी।

दोस्तों नंबर चार सावन के पवित्र महीने में अचानक से घर में काला सांप निकल आए तो बहुत ही शुभ माना गया है। इसे बिल्कुल भी ना मारे। ये भगवान शिव के आने का संकेत है जिनकी भक्ति से महादेव प्रसन्न होते हैं तब महादेव किसी खास अवसर पर ही अपने दर्शन देते हैं। सावन का महीना बहुत ही पवित्र महीना माना गया है। यही वो महीना है जिसमें भगवान शिव धरती पर आते हैं।और उसी घर में अपना वास बना लेते हैं जो सच्चा भक्त होता हो। सपनों में किसी मंदिर में नाग नागिन का जोड़ा देखना बहुत ही शुभ माना गया है। ये घर में शिव के आने के संकेत हैं। अब आपको खुश होने की जरूरत है।

दोस्तों नंबर पांच सावन के शुभ अवसर पर सोमवार के दिन डमरू की आवाज, घंटियों की आवाज सुनाई दी जाए तो ये अत्यंत शुभ माना गया है। इसका अर्थ ये है कि भगवान भोलेनाथ आपसे प्रसन्न है और जल्दी आपके घर और जीवन में प्रवेश करने वाले हैं, जिससे आपका आर्थिक संकट दूर होकर जीवन में सुख समृद्धि आने वाली है। महादेव आपसे बहुत खुश है। दोस्तों सावन के पवित्र समय में मंदिर में घंटी क्यों बजाई जाती है, घंटा क्यों बजाया जाता है?

ताली क्यों बजाई जाती है?

मंदिर के अंदर कारण क्या है? शंकर के मंदिर में घंटी क्यों बजाई जाती है?
शंकर के मंदिर में घंटी को क्यों बजाया जाता है?
ताली को बजाना क्यों ना करा जाता है, शिव मंदिर में किस लिए करा जाता है तो ये पुराण है की मंदिर के अंदर या घर के अंदर आप गरुण घंटी जब जाते हो, घंटी का नाच जब करते हो तो शिव महापुराण की कथा और लिंग पुराण की कथा विष्णु पुराण की कथा कहती है। मात्र घंटी का नाद कर देने से जीतने भूमि पर तीर्थ है।

shivratri 2024

जीतनेसाधक साधना कर रहे होते है।जीतने, तप, तप कर रहे होते हैं। जितनी पवित्र नारी स्त्री का पालन कर रही होती हैं, जीतने दान हो रहे होते हैं। कुछ समय पर जीस समय तुमने घंटी बजाई हैं। उस पल वो सारे पुण्य घंटी का नाद करते से तुम्हारे खाते में आ जाते हैं। शंकर जी के मंदिर में जाकर ताली का नाद किया जाता हैं। ताली शिव मंदिर में क्यों बजाई जाती हैं?

मंदिर में जीतने भी बैठे होंगे, जो भजन कर रहे होंगे, जो साधना कर रहे हैं, अभिषेक कर रहा हैं, पूजन कर रहा हैं। तीन बार ताली बजाने सेउनका सारा का सारा पुण्य हमारे खाते में आ जाता है, खींचा चला आता है, हमारा भाग्य प्रबल हो जाता है, एक सेकंड में हमारे खाते में आ जाता है और हमें लगता है हम शंकर को रिझा रहे हैं। शंकर को रिझाए शिव जरूर देते हैं। घर में गरुड़ घंटी का नाद करना दोस्तों इसलिए बच्चों को खेलने के लिए घंटी नहीं दी जाती। गरुड़ घंटी कोई खेलने को नहीं देता।

दूसरा सामान दे देंगे पर गरुण घंटी नहीं देंगे। क्यों नहीं देते?

क्योंकि गरुड़ घंटी का जब नाद किया जाता है तो सबका पुण्य हमारे खाते में जाता है।कोई साधारण है। घंटी बजाना पूजन के समय स्मरण के समय पर भजन आदि करना चाहिए। इसलिए घंटी भी हर कभी नहीं बजाई जाती और आपसे भी निवेदन है मंदिर में भी जाओ तो घंटी का नाद करो तो बड़े प्रेम से करो, ऐसे नहीं बजाओ, बजाये जाओ बजाए जाओ। कई मंदिरों में मंदिर का पट बंद हो जाता है तो भी लोग घंटी बजा देते हैं। दोष लगता है अब भगवान अगर मंदिर में सो रहे हैं।

तो उस समय घंटी बजाना घोर पाप माना जाता है। जीस जगह पर ब्राह्मण विद्वान है, साधक है, संत है, साधु है। मंदिर अगर बंद होता है तो उसके साथ में घंटी के नीचे के भाग को रस्सी से ऊपर बंद दिया जाता है, जिससे बजेना कहते हैं। अगर भगवान अगर विश्राम कर रहे हैं, सो रहे हैं, निद्रावश्य है या पट बंद है, कुछ समय पट बंद का समय है और घंटी का अगर नाद हो जाए तो कहते हैं 11 ब्राह्मण के भूखे रहने का दोष लग जाता है।

जीवों कोमात्र घंटी बजा देने पर अगर भगवान विश्राम भगवान विश्राम में है पटबंध दरवाजा बंद और लिखा हुआ है समय मंदिर खुलने का समय 11:00 बजे से 3:00 बजे तक मंदिर बंद होने का समय और तुमने यदि समय देख लिया फिर भी तुमने तो देख लिया और तुम उस समय कह रहे हो मैं दूर से आया हूँ। घंटी तो बजाऊंगा तो ऐसा करने से कई लोगों के भूखे रहने का दोष आपको लग जाता है। घंटी बजाने का सबसे शुभ समय माना जाता है।सुबह 4:00 बजे से लेकर सुबह 11:00 बजे तक अत्यंत दुर्लभ और मंगलकारी माना जाता है।

इस समय घटी बजाना और रात के समय शाम 6:00 बजे से लेकर रात 11:00 बजे से पहले तक पूजा पाठ तथा घंटी बजा लेनी चाहिए, क्योंकि 12 से पहले तथा 12 के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। इस समय देवी देवता विश्राम करते हैं, निद्रा में चले जाते हैं। इस समय उन्हें जगाना मतलब घोर पाप का भागीदार बनने के बराबर है। आप अपने पुण्य नष्ट कर सकते हैं। अगर आप वाकई में भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो सच्चे दिल से कमेंट बॉक्स में लिखे हर महादेव ओम नम शिवाय।

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