व्रत और त्यौहार

नवरात्रि😱वाले दिन इस जड़ को लाकर पहन लेना पैसो को चुंबक की तरह खींचता है, 501% गरीबी खत्म 3 अक्टूबर

दोस्तों नवरात्र में इस पेड़ की जड़ को पहन लेना रातोंरात भाग्य चमक जाएगा मालामाल हो जाएंगे और करोडपति बनने से आपको कोई नहीं रोक सकेगा। दोस्तों वीडियो शुरु करने से पहले आपसे निवेदन हैं कि धर्म कथाएं चैनल पर आप नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें और वीडियो को लाइक करके कमेंट बॉक्स में माता रानी का जयकारा अवश्य ही लगाएं ताकि माता रानी आपकी सारी समस्याएं खत्म कर देंगी। तो दोस्तों शुरु करते है…

नवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जिसमें देवी दुर्गा की पूजा नौ दिनों तक की जाती है। यह पर्व केवल धार्मिक महत्त्व ही नहीं रखता बल्कि इसे आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी देखा जाता है। नवरात्रि के दौरान, विशेष जड़ी-बूटियों और चीज़ों का महत्त्व भी बढ़ जाता है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे धन, समृद्धि, और जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं। ऐसे ही एक विशेष जड़ के बारे में कहा जाता है कि यह जड़ नवरात्रि के दिन लाकर पहनने से धन को चुंबक की तरह खींचती है और गरीबी को खत्म करती है। इस वीडियो में हम विस्तार से समझेंगे कि इस विशेष जड़ का क्या महत्त्व है, इसकी उपयोगिता, इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है, और इसका सही तरीके से प्रयोग कैसे किया जाता है।

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नवरात्रि हिन्दू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का आवाहन किया जाता है। इस समय देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो समस्त बुराइयों का नाश करती हैं और भक्तों को सुख, समृद्धि और धन प्रदान करती हैं। इसी दौरान विभिन्न तांत्रिक और धार्मिक कर्मकांड किए जाते हैं, जिनमें विभिन्न जड़ी-बूटियों और जड़ों का उपयोग किया जाता है।

इस विशेष जड़ का महत्त्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है। कई धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं में इस जड़ का वर्णन किया गया है, जिसमें इसे ‘धन आकर्षक’ और ‘समृद्धि प्रदान करने वाली’ जड़ माना जाता है। नवरात्रि के दौरान इसे पहनने से देवी का आशीर्वाद मिलता है और इसे पहनने वाला व्यक्ति आर्थिक संकटों से मुक्त होता है।

शारदीय नवरात्रि 2024 की तिथियां इस प्रकार हैं:

प्रथम दिन (प्रतिपदा): 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार
इस दिन घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा होती है।

द्वितीय दिन (द्वितीया): 4 अक्टूबर 2024, शुक्रवार
इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है।

तृतीय दिन (तृतीया): 5 अक्टूबर 2024, शनिवार
इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।

चतुर्थ दिन (चतुर्थी): 6 अक्टूबर 2024, रविवार
इस दिन मां कूष्मांडा की पूजा होती है।

पंचमी: 7 अक्टूबर 2024, सोमवार
इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है।

षष्ठी: 8 अक्टूबर 2024, मंगलवार
इस दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है।

सप्तमी: 9 अक्टूबर 2024, बुधवार
इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है।

अष्टमी: 10 अक्टूबर 2024, गुरुवार
इस दिन मां महागौरी की पूजा होती है। इसे महाअष्टमी भी कहा जाता है, और इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।

नवमी: 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार
इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इसे महानवमी कहा जाता है, और इसी दिन नवरात्रि का समापन होता है।

इस प्रकार, शारदीय नवरात्रि 2024 का प्रारंभ 3 अक्टूबर 2024 से होगा और समापन 11 अक्टूबर 2024 को होगा।

 इस विशेष जड़ का नाम और इसे पहचानने के विभिन्न तरीके होते हैं। यह जड़ आमतौर पर दुर्लभ जड़ी-बूटियों में से एक होती है और इसे नवरात्रि के समय बाजारों में बेचा जाता है। कहा जाता है कि इस जड़ में विशेष ऊर्जा होती है जो पैसों को चुंबक की तरह खींचती है। इसे ‘विष्णु-कांत’ या ‘लक्ष्मी जड़’ के नाम से भी जाना जाता है। इस जड़ की बनावट कुछ विशेष होती है और इसे पहचानने के लिए विशेषज्ञ की सलाह ली जाती है।

आमतौर पर यह जड़ प्राकृतिक रूप से जंगलों या पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती है, और इसकी प्राप्ति कुछ कठिन मानी जाती है। इसे प्राप्त करने के लिए कुछ

विशेष विधियों और मान्यताओं का पालन करना होता है, जिनमें पूजा-पाठ और देवी का आह्वान प्रमुख है। यह विश्वास किया जाता है कि इस जड़ को सही समय पर और सही तरीके से पहनने से यह व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समृद्धि लाती है और पैसों की कमी को दूर करती है।

 

यह मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान इस जड़ को लाने और पहनने से अनेक लाभ होते हैं, खासकर आर्थिक दृष्टिकोण से। आइए विस्तार से जानते हैं कि इस जड़ को पहनने से कौन-कौन से फायदे हो सकते हैं:

 

धन के प्रति इस जड़ को विशेष आकर्षण शक्ति मानी जाती है। यह जड़ किसी चुंबक की तरह कार्य करती है, जो धन को व्यक्ति की ओर खींचती है। जिन व्यक्तियों को निरंतर आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ता है, उनके लिए यह जड़ अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है।

 

जो लोग व्यापार करते हैं या कोई नया व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, उनके लिए इस जड़ का उपयोग विशेष फलदायक होता है। यह व्यापार में वृद्धि, ग्राहकों की संख्या में इज़ाफा, और आर्थिक प्रगति के नए द्वार खोलने में सहायक मानी जाती है।

 

अक्सर ऐसा होता है कि बुरी नजर या नकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति की प्रगति को बाधित करती है। इस जड़ को पहनने से व्यक्ति पर किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं पड़ता। यह व्यक्ति को बुरी नजर से बचाती है और उसके धन और समृद्धि की रक्षा करती है।

सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह

यह जड़ न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी मानी जाती है। इसे पहनने से व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे उसका मानसिक तनाव कम होता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

इस जड़ को प्राप्त करने की विधि

हालांकि यह जड़ बाजारों में उपलब्ध होती है, लेकिन इसे प्राप्त करने की विधि कुछ विशेष मानी जाती है। नवरात्रि के दौरान इसे प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित विधियों का पालन किया जाता है:

शुभ दिन और समय

नवरात्रि के दौरान इस जड़ को लाने के लिए सबसे शुभ दिन अष्टमी और नवमी माने जाते हैं। इस दिन देवी का विशेष आह्वान किया जाता है और उनकी कृपा से इस जड़ को प्राप्त किया जाता है। इसके अलावा, इसे सूर्योदय के समय या पूजा के तुरंत बाद लाना शुभ माना जाता है।

शुद्धिकरण और पूजा

इस जड़ को पहनने से पहले इसका शुद्धिकरण करना आवश्यक होता है। इसे गंगाजल से धोकर शुद्ध किया जाता है और इसके बाद देवी दुर्गा के समक्ष इसे चढ़ाया जाता है। शुद्धिकरण के बाद इसे व्यक्ति के गले या कलाई में धारण किया जाता है।

मंत्र जाप

इस जड़ को धारण करते समय विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। यह मंत्र देवी लक्ष्मी और देवी दुर्गा को समर्पित होते हैं, जिससे उनकी कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि मंत्रों का सही उच्चारण और निष्ठा से जाप करने पर ही इस जड़ का संपूर्ण लाभ प्राप्त होता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण के साथ-साथ, इस जड़ का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। यह माना जाता है कि इस जड़ में कुछ प्राकृतिक खनिज और तत्व होते हैं जो शरीर के साथ संपर्क में आने पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

ऊर्जा संतुलन

यह जड़ ऊर्जा संतुलन को बनाए रखने में सहायक होती है। यह शरीर की ऊर्जा को सही दिशा में प्रवाहित करती है, जिससे व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है। इसके साथ ही, यह मस्तिष्क की तरंगों को शांत करके मानसिक शांति प्रदान करती है।

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रभाव

यह जड़ शरीर की चुंबकीय ऊर्जा को संतुलित करने में भी सहायक मानी जाती है। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि कुछ प्राकृतिक जड़ी-बूटियों में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुण होते हैं, जो शरीर की चुंबकीय ऊर्जा को प्रभावित करते हैं और इसे सही दिशा में प्रवाहित करते हैं।

मान्यताएँ और कहानियाँ

भारत में ऐसी कई प्राचीन मान्यताएँ और कहानियाँ हैं जो इस जड़ की शक्ति और इसके महत्त्व को दर्शाती हैं। कई धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है। एक प्रसिद्ध कहानी के अनुसार, प्राचीन समय में एक व्यापारी था, जो लगातार आर्थिक संकट से जूझ रहा था। उसने नवरात्रि के दिन एक साधु से इस जड़ को प्राप्त किया और देवी दुर्गा की पूजा के बाद इसे धारण किया। इसके बाद उसके व्यापार में अत्यधिक वृद्धि हुई और वह अमीर बन गया।

इसी तरह कई साधु-संतों और योगियों ने भी इस जड़ का उपयोग अपने साधना और तप में किया है। यह जड़ उनकी आध्यात्मिक यात्रा में सहायक मानी जाती है, जिससे वे ध्यान और साधना में उन्नति प्राप्त करते थे।

इस जड़ से जुड़ी सावधानियाँ

हालांकि यह जड़ आर्थिक समृद्धि और जीवन में सकारात्मकता लाने वाली मानी जाती है, लेकिन इसे धारण करते समय कुछ सावधानियों का पालन करना आवश्यक है:

शुद्धता का ध्यान

इस जड़ को धारण करने से पहले इसकी शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। इसे गंदगी या नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखें और इसे नियमित रूप से शुद्ध करें।

अंधविश्वास से बचें

इस जड़ को लेकर कई बार लोग अंधविश्वास का शिकार हो जाते हैं। ध्यान रहे कि केवल जड़ धारण करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि व्यक्ति के कर्म और निष्ठा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि व्यक्ति मेहनत और सच्ची निष्ठा से काम करता है तो यह जड़ उसे सकारात्मक परिणाम देती है।

इस प्रकार नवरात्रि के दौरान इस विशेष जड़ को पहनने का धार्मिक, आध्यात्मिक, और वैज्ञानिक महत्त्व है। यह न केवल धन और समृद्धि प्रदान करती है बल्कि जीवन में सकारात्मकता और शांति भी लाती है। हालांकि, इसका सही उपयोग और निष्ठा से पालन करना आवश्यक है, तभी इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

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