व्रत और त्यौहार

जन्माष्टमी के दिन😱इसे घर लाकर करे यह प्रयोग, धन दौलत, गाड़ी बंगला, रुपिया पैसा, सब खींचे चले आयेगा

राधे राधे जय श्रीकृष्ण दोस्तों कृष्ण जन्माष्टमी की राज़ जरूर करें ये सिद्ध उपाय, जीवन में आएगी संपन्नता धन में होगी वृद्धि दोस्तों जन्माष्टमी की राततंत्र विज्ञान के अनुसार सिद्ध रात्रि मानी जाती है। आइए जानते हैं इस दिन सुख समृद्धि के लिए कौन से उपाय करने चाहिए।अगले 5 दिन में होगा चमत्कार, खुशियों से भर जाएगी दोस्तों कृष्ण जन्माष्टमी 2024 उपाय जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन मंदिरों को सजाया जाता है साथ ही भगवान को नए वस्त्र धारण कराए जाते हैं।साथ ही लड्डू गोपाल का पंचामृत से स्नान कराया जाता है।

साथ ही इस दिन रात में 12:00 बजे कान्हा के जन्म के बाद उनकी पूजा करके व्रत का पारण करने का विधान है। वही कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के पकवान अर्पित किए जाते है। उन्हें झूला झुलाया जाता है।साथ ही आपको बता दें कि ज्योतिष में कुछ उपायों का वर्णन मिलता है जो अगर इस दिन रात को किए जाए तो व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो जाएगी। साथ ही उसके जीवन में सुख समृद्धि का वास रहेगा। आइए जानते है इन सिद्ध उपायों के बारे में माखन और मिश्री का भोग लगाने का उपाय जन्माष्टमी की रात जब भगवान का जन्म हो जाए।तो उनको माखन और मिश्री का भोग लगाएं, क्योंकि कान्हा को माखन मिश्री बहुत पसंद है। वही ऐसा करने से जीवन में सुख समृद्धि का वास रहेगा और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा आप पर बनी रहेंगी। दाम्पत्य जीवन खुशहाल बना रहेगा। दोस्तों।क्या आप जानते है कि भगवान श्रीकृष्ण को माखन और मिश्री का भोग क्यों लगाया जाता है?

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तो आइये जानते है इसके बारे में। दोस्तों शास्त्रों के अनुसार माखन में शुद्धता और ताजगी होती है। जो हमारी आत्मा को शीतलता प्रदान करती है, वही मिश्री मिठास का प्रतीक है, जो जीवन में मिठास और संतुलन बनाए रखने का संदेश देती है।जब इन दोनों का भोग श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है तो वह उनके प्रति हमारी सच्ची भक्ति और समर्पण को दर्शाता है। दोस्तों, इसके पीछे एक कथा भी जुड़ी है। जब श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था और इन्द्रदेव का अभिमान तोड़ा था तब ब्रजवासी श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए उन्हें माखन मिश्री का भोग अर्पित करते थे।इससे उन्हें यह संदेश मिलता था कि जीवन में कितना भी बड़ा संकट आए।


अगर हम माखन जैसी शुद्धता और मिश्री जैसी मिठास बनाए रखें तो भगवान श्री कृष्ण हमारी हर समस्या का समाधान करेंगे। इसलिए आज भी माखन और मिश्री का भोग जन्माष्टमी और अन्य विशेष अवसरों पर भगवान श्री कृष्ण को।अर्पित किया जाता है। ये सिर्फ एक प्रसाद नहीं बल्कि भक्त और भगवान के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक है तो दोस्तों इस पौराणिक कथा से हमें ये सीखने को मिलता है कि हमें अपने जीवन में सरलता, शुद्धता और मिठास बनाए रखनी चाहिए। इससे न केवल हम भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं बल्कि अपने जीवन को भी संतुलित और खुशहाल बना सकते हैं।शंख से अभिषेक करने का उपाय दोस्तों जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। इसके बाद कृष्ण चालीसा या विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। साथ ही जीवन में संपन्नता बनी रहेंगी। दोस्तों।क्या आप जानते है कि भगवान श्री कृष्ण का शंख से अभिषेक क्यों किया जाता है?

इसके पीछे की क्या धार्मिक कहानी और वैज्ञानिक संकेत है?

आइए जानते है इसके पीछे का रहस्य दोस्तों भगवान श्री कृष्ण का शंख से अभिषेक करने का धार्मिक कारण यह है कि इससे भक्तों को समृद्धि, शांति।और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। शंख से अभिषेक करने पर जल में पवित्रता और सकारात्मकता का संचार होता है। ऐसा माना जाता है कि शंख से अभिषेक करने से भगवान विष्णु जो श्रीकृष्ण का अवतार है, अत्यधिक प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।दोस्तों विज्ञान के अनुसार शंख से निकलने वाली ध्वनि की तरंगे वातावरण को शुद्ध करती है। ये ध्वनि एक विशेष फ्रीक्वेन्सी पर काम करती है जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाती है। इसी कारण जब शंख में जल भरकर उससे अभिषेक किया जाता है तो उस जल में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जो मानसिक और शारीरिक शुद्धि में सहायक होता है।

दोस्तों शंख से अभिषेक केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि यह एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का यह तरीका हमें उनके दिव्य गुणों और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देता है। पान का पत्ता अर्पित करने का उपाय।दोस्तों अगर बहुत प्रयास के बाद आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा हो तो श्रीकृष्ण के जन्म के बाद भगवान कृष्ण को पान का पत्ता अवश्य अर्पित करें। इसके बाद अगले दिन उस पान के पत्ते पर रोली से श्री यंत्र लिखकर धन के स्थान जैसे अलमारिया तजोरी में रख दे। ऐसा करने से आपको आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलेंगे।साथ ही धन में वृद्धि होगी। दोस्तों, आज हम आपको बताएंगे कि भगवान श्रीकृष्ण को पान का पत्ता क्यों अर्पित किया जाता है?

ये एक ऐसा प्रश्न है जिसे बहुत से भक्त जानना चाहते हैं। इसके पीछे एक विशेष धार्मिक और अध्यात्मिक महत्त्व छिपा हुआ है, जो हमारी सनातन परंपरा से जुड़ा हुआ है।तो चलिए बिना देर किये इस रोचक कथा को।दोस्तों पौराणिक कथाओं के अनुसार पान का पत्ता अर्पित करने की परंपरा भगवान विष्णु से शुरू हुई। श्री कृष्ण जो की विष्णु के अवतार माने जाते है उन्हें पान का पत्ता अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। लेकिन इसके पीछे केवल धार्मिक मान्यता ही नहीं बल्कि एक सुन्दर और भावनात्मक कहानी भी जुड़ी हुई है।दोस्तों, एक बार माता रुक्मणि से श्रीकृष्ण ने निवेदन किया की वह उनके लिए कुछ विशेष करें, जिससे वह प्रसन्न हो जाए। रुकमणि जी ने श्रीकृष्ण को पान का पत्ता अर्पित किया और उसमें अपने प्रेम, श्रद्धा और भक्ति को समर्पित किया। यह पान का पत्ता इतना विशेष था।

कि भगवान श्री कृष्ण को उसमें रुक्मणी जी का निस्वार्थ प्रेम और भक्ति महसूस हुई। तभी से यह माना जाता है कि पान का पत्ता अर्पित करने से भगवान श्री कृष्ण शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। दोस्तों पान का पत्ता केवल एक सामान्य पत्ता नहीं है बल्कि इसमें तुलसी, लौंग और कथे के साथ साथ।कई औषधीय गुण होते हैं। इसे अर्पित करने का अर्थ है कि हम अपनी सभी इच्छाओं, भक्ति को और समर्पण को भगवान के चरणों में समर्पित कर रहे हैं।

पान का पत्ता प्रेम, श्रद्धा और भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक है यह बांसुरी अर्पित करने का उपाय।दोस्तों कृष्ण जन्माष्टमी के दिन चांदी की एक बांसुरी बाजार से खरीद कर लाएं और भगवान कृष्ण को बांसुरी अर्पित करें। भगवान कृष्ण को बांसुरी बहुत पसंद है। साथ ही इस दिन क्लीन कृष्णाये वासुदेव आए हरि परमात्मने गोविंदे नमो नम मंत्र का 108 बार झप करें।धन समृद्धि के लिए भगवान कृष्ण को इस दिन पीले वस्त्र भी धारण कराएं। दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि श्री कृष्ण को बांसुरी क्यों अर्पित की जाती है?

नहीं तो इस वीडियो में हम इसके पीछे छिपे आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के बारे में जाने के दोस्तों श्री कृष्ण और बांसुरी का सम्बन्ध उतना ही गहरा है जितना प्रेम और भक्ति का। बांसुरी केवल एक वाद्य यंत्र नहीं है बल्कि यह श्री कृष्ण के जीवन और उनके दिव्य सन्देश का प्रतीक है। आइये जानते है इसके पीछे की वजह।दोस्तों श्री कृष्ण को प्रेम का देवता माना जाता है। बांसुरी की मधुर ध्वनि प्रेम, शांति और माधुरी का प्रतीक है। जब श्री कृष्ण बांसुरी बजाते थे तो उसकी धुन से सभी जीव जंतु, गोप, गोपिकाएं और यहाँ तक की प्रकृति भी मंत्रमुग्ध हो जाती थी। ये ध्वनि प्रेम और करुणा का संदेश देती है।

दोस्तों बांसुरी को एक साधारण बांस से बनाया जाता है। यह हमें यह सीखाता है कि भगवान को बाहरी वस्तुओं की आवश्यकता नहीं है। वे सादगी में ही परम आनंद की अनुभूति करते है। बांसुरी के माध्यम से श्रीकृष्ण हमें यह सन्देश देते हैं कि सादगी और प्रेम से जीवन जीने में ही वास्तविक सुख है। दोस्तों बांसुरी अंदर से खाली होती है।ये प्रतीक है कि जब हम अपने मन को अहंकार, ईर्ष्या और अन्य नकारात्मक भावनाओं से मुक्त कर देते हैं, तभी भगवान हमारी आत्मा में वास कर सकते हैं।

श्रीकृष्ण की बांसुरी यह दर्शाती है कि हमें अपने हृदय को शुद्ध और खाली रखना चाहिए ताकि उसमें भगवान का वास हो सके। दोस्तों बांसुरी सिर्फ एक वाद्य यंत्र नहीं है।ये श्री कृष्ण के प्रेम, भक्ति और दिव्यता का प्रतीक है। ये हमें सिखाती है कि जीवन में सादगी, प्रेम और भक्ति का कितना महत्त्व है। इसलिए जब भी हम श्री कृष्ण को बांसुरी अर्पित करते हैं, हम उनकी उन सभी शिक्षाओं और मूल्यों का सम्मान करते हैं, जो उन्होंने हमें सिखाई।कमेंट में जय श्री कृष्ण, राधे राधे अवश्य लिखें, धन्यवाद।

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