व्रत और त्यौहार

26 अगस्त कृष्ण जन्माष्टमी, तुलसी की जड़ की मिट्टी से करें ये अचूक उपाय 3 दिन में होगी हर मनोकामना

जय श्रीकृष्णा दोस्तों कई 1000 वर्षों बाद 26 अगस्त 2000 चौबिस को बहुत ही दुर्लभ और दिव्य संयोग बनने जा रहा है, क्योंकि इस दिन जन्माष्टमी के पावन पर्व के साथसाथ राजयोग, अमृत सिद्धि योग और साथ ही धनलक्ष्मी जैसे कई योग बन रहे हैं और इस दिन भगवान श्रीकृष्ण सबसे अधिक प्रसन्न होने वाले हैं।

अगर आप भी भगवान कृष्ण से इस दिन जो भी सच्चे दिल से मांगेंगे वो मनोकामना आपकी जरूर पूरी होगी। वही दोस्तों कृष्ण भगवान को प्रसन्न करने के लिए इस जन्माष्टमी पर तुलसी की झड़ की मिट्टी से जुड़ा ये उपाय जरूर करना चाहिए जो की आपकी किस्मत बदल देगा और आपको बना देगा मालामाल और धनवान।साथ ही इस एकमात्र उपाय से आपके सभी दुखों का नाश हो जायेगा। इसीलिए दोस्तों वीडियो को आखिर तक जरूर देखें और दोस्तों अगर आप भी अपने जीवन में भगवान श्रीकृष्ण की कृपा पाना चाहते हैं तो इस वीडियो को लाइक करें कमेंट में जय श्रीकृष्ण, राधेराधे लिखना न भूलें।

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दोस्तों जन्माष्टमी का पावन पर्व भगवान श्री कृष्ण जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण जी का जन्म भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और उनके जन्म के दिन को आज भी काफी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की आंधी रात।यानी 12:00 बजे पूजा की जाती है और घंटा घड़ियाल बजाकर उनके जन्म की खुशियां बांटी जाती है। दोस्तों जन्माष्टमी का पर्व मथुरा और वृंदावन में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर मंदिरों और घरों में लोग बाल गोपाल के जन्म उत्सव का आयोजन भी करते है और बाल गोपाल के लिए पाल की भी सजाते है।ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु जी ने धर्म की स्थापना करने के लिए श्रीकृष्ण जी के रूप में जन्म लिया था। इस दिन व्रत धारण कर श्रीकृष्ण जी का स्मरण करना अत्यंत ही फलदायी होता है।


शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को व्रत का राजा कहा गया है।दोस्तों भविष्य पुराण में इस व्रत के संदर्भ में उल्लेख है कि जीस घर में यह व्रत किया जाता है। वहाँ अकाल, मृत्यु, गर्भपात, दुर्भाग्य तथा कलह नहीं होती है। जो एक बार भी इस व्रत को करता है वो संसार के सभी सुखों को भोग कर विष्णु लोक में निवास करता है। दोस्तों इस दिन लोग पूरा दिन व्रत उपवास रखते हैं।और आपको बता दें कि जन्माष्टमी का व्रत अष्टमी तिथि से शुरू होता है और इस व्रत का पारण नवमी तिथि में ही करना चाहिए तभी इस व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। इसलिए जो लोग इस व्रत को रखें उन्हें सप्तमी की रात में हल्का एवं सातविक भोजन करना चाहिए। साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।दोस्तों जन्माष्टमी का व्रत कुछ लोग निर्जला रहकर भी रखते हैं तो वहीं कुछ लोग फलाहार करके भी इस व्रत को करते हैं।

दोस्तों जन्माष्टमी के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए और अपने हाथ में थोड़ा सा जल, पुष्प और अक्षत ले ले।और जन्माष्टमी के व्रत का संकल्प करें। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण जी की विधिवत पूजा करें और दोस्तों आपको बता दें कि भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा निश्चित काल यानी आंधी रात में करने की परंपरा रही है और कई घरों में रात 12:00 बजे भगवान कृष्ण जी का जन्म भी किया जाता है तो जो लोग कृष्ण जी का जन्म रात में करते हैं।

वे नाल छेदन भी करते हैं और जो लोग नाल छेदन करना चाहते हैं तो उनके लिए बता देते हैं कि 12 बजने से कुछ घंटे पहले ही एक पत्ते वाला खीरा ले ले और उसको थोड़ा सा काटकर उसमें कृष्ण जी को बैठा दें। फिर जब 12:00 बजे तो भगवान को उस खीरे से बाहर निकाल कर एक सिक्के की मदद से खीरे को काट दें।इसे नाल छेदन कहा जाता है। इसके बाद उन्हें सबसे पहले शुद्ध जल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराएं। तत्पश्चात गंगा जल से भी स्नान कराएं। इसके बाद शुद्ध जल से कराने के बाद उन्हें साफ कपड़े से पोछकर उन्हें नए और सुंदर चमकीले वस्त्र धारण कराएं और उनका श्रृंगार करें।इसके बाद उन्हें झूले या सिंहासन में विराजमान करे इ ध्यान रहे।

इस दौरान आप कृष्ण नाम का जाप करते रहे या राधे राधे बोलते रहे या श्री कृष्ण जी के किसी भी मंत्र का जाप करते रहे। अब आप कृष्ण जी की विधिवत पूजा करे, उन्हें चंदन का तिलक लगाये, फूल माला अर्पित करे और उन्हें भोग लगाये।भोग में आप माखन, मिश्री, पंचामृत, नारियल से बनी मिठाई या धनिया की पंजीरी का भोग लगाएं। ध्यान रहे उसमें तुलसी का पत्ता जरूर डालें। इसके बाद धूप दीप जलाकर भगवान श्री कृष्ण जी की आरती जरूर करें और कृष्ण जी को इस दिन झूला जरूर झुलाएं। ये दोस्तों जन्माष्टमी की रात को लोग रात्रि जागरण करके।भजन कीर्तन एवं शोभर आदि भी गाते है। इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि कुछ लोग रात्रि की पूजा के बाद ही अपने व्रत का पारण कर लेते हैं और कुछ लोग अगले दिन सूर्योदय के बाद अपने व्रत का पारण करते हैं। ध्यान रहे कि आप प्रसाद खाकर ही अपने व्रत का पारण करें।दोस्तों जन्माष्टमी का व्रत लोग अलग अलग तरह से रखते हैं। कुछ लोग इस दिन निर्जला रखते हैं यानी दिन में पानी नहीं पीते हैं।

वही कुछ लोग दिन भर उपवास रखकर रात को फलाहार करते हैं, जबकि कुछ लोग दिन में दो बार फलाहार करते हैं। दोस्तों इस दिन व्रत में आप रसीले फल का सेवन कर सकते हैं। ये आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होने देंगे।तरबूज, खरबूजा, ककड़ी जैसे अधिक पानी वाले फल ले सकते है। अमरुद, केला और सेब भी खा सकते है और आप दही की लस्सी व्रत की शुरुआत से पहले पी सकते है। लस्सी पीने से आपको ज्यादा प्यास नहीं लगेंगी। दोस्तों जन्माष्टमी पर रात को व्रत खोलते वक्त लोग कूटू के आटे के व्यंजन और साबूदाने की खिचड़ी खाते है। ये दोनों चीजें हल्की होती है।और इससे पेट भी भर जाता है। पर ये ध्यान रखें कि व्रत तोड़ते वक्त आपको बहुत ज्यादा भारी खाना नहीं खाना चाहिए। इससे गैस बन सकती है। चलिए आप जानते हैं कि साल 2024 में जन्माष्टमी का पर्व कब मनाया जाएगा तो आपको बता दें कि जन्माष्टमी कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि।

इस बार 26 अगस्त को पड़ रही है और ये कृष्ण भगवान की 5200 इक्यावनवी जन्माष्टमी होगी। दोस्तों जन्माष्टमी के लिए इस बार शुभ मुहूर्त 44 मिनट का है जो 12 बजकर 44 तक रहेगा। ऐसे में इस दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है।ऐसे में इस दुर्लभ संयोग में जन्माष्टमी की पूजा करने से तीन जन्मो के पापों से मुक्ति मिलेंगे। वहीं अगर किसी की आत्मा प्रेत **** में भटक रही है तो उनके नाम से की गई पूजा उनकी आत्मा को मुक्ति प्रदान करेगी। इस दिन का व्रत निःसंतान को भी संतान का सुख देने वाला होता है। ऐसे में इस बार जन्माष्टमी का व्रत करना ना भूलें।साथ ही जो इस व्रत को शुरू करना चाहते हैं तो इस बार उनके लिए यह सबसे अच्छा मौका है भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने का। ऐसे में वह भी इस बार व्रत को शुरू कर सकते हैं तो दोस्तों। आइए आप जानते हैं तुलसी की जड़ की मिट्टी के चमत्कारिक उपाय की दोस्तों तुलसी न केवल एक पौधा है बल्कि तुलसी देवी है।

सनातन धर्म में तुलसी, गाय और पवित्र नदी को माँ का दर्जा दिया जाता है जैसे कि गंगा माँ कहा जाता है। गाय को गौ माता कहा जाता है, उसी तरह तुलसी को तुलसी मैया कहा जाता है। तुलसी के हर पत्ते में साक्षात भगवान विष्णु का वास समझा जाता है। इस धरा पर जो भी देवता मानव रूप में वितरित हुए।उनमें से हर एक ने तुलसी की पूजा जरूर की है। जीस घर में इसका वास होता है। वहाँ आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख, शांति और आर्थिक समृद्धि स्वतः ही आती है। प्रतिदिन सुबह तुलसी के दर्शन करने मात्र से आप देखेंगे कि आपका पूरा दिन अच्छे से गुजरता है।जब भी आप सोकर सुबह उठें तब आप अपने चेहरे को देखने के बजाय तुलसी के पौधे को जरूर देख लें। सुबह शाम तुलसी की पूजा करने से हर पाप नष्ट हो जाता है। तुलसी के पौधे में लगी मिट्टी में समस्त तीर्थों का वास समझा जाता है।

तुलसी की जड़ में माता लक्ष्मी का वास समझा जाता है। इसके हर हिस्से में भगवान कृष्ण का वास समझा जाता है।दोस्तों मंजरी में बजरंग बली का भाग समझा जाता है और भगवान विष्णु, कृष्ण, प्रभु श्री राम और हनुमान जी को बिना तुलसी पत्ते के भोग नहीं चढ़ाया जाता है और ऐसा भोग वे स्वीकार नहीं करते जिसमें तुलसी ना हो। दोस्तों वास्तु शास्त्र में कहा जाता है कि जीस घर में तुलसी का पौधा लगा हो। उस घर में कभी भी किसी भी तरह के रोग नहीं आते।और अगर इसे सही दिशा में रखा जाए और नित्य इसका पूजन किया जाए तो उस घर में वास्तु दोष उत्पन्न नहीं होता और ये भी समझा जाता है की घर में किसी भी तरह की बड़ी अनहोनी होने से पहले तुलसी का पौधा सोख लेता है अर्थात तुलसी का पौधा उस भला को अपने ऊपर लेता है और आपको माता की तरह सुरक्षा प्रदान करता है।

खुद बलिदान देकर हम सभी की रक्षा करता है। इसलिए हमें अपने घर में तुलसी का पौधा जरूर लगाना चाहिए। दोस्तों तुलसी का पौधा हमें शुद्ध ऑक्सीजन देने के साथसाथ अनेक तरह के चमत्कारिक लाभ भी प्रदान करता है, जिसके बारे में आज हम बताएंगे।दोस्तों, इस धरती के पौधे व वनस्पतियां से कई अध्यात्मिक बातें जुड़ी हुई है। इनको पूजनीय समझा गया है। इनमे देवी देवताओं का वाद समझ गया है। दोस्तों तुलसी के पौधे का पदम पुराण, ब्रह्मवेद पुराण, स्कंद पुराण, भविष्य पुराण और गरुड़ पुराण में तुलसी के पौधे की कई विशेषताएं बताई गई हैं।प्रचलित कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई और ब्रह्मदेव ने उसे भगवान विष्णु को सौंप दिया था।

दोस्तों तुलसी हर हिंदू के घर आंगन में जरूर होती है। आप इसे रोज़ देखते होंगे परंतु हम दावे के साथ कह सकते हैं।की तुलसी से मिलने वाले इन फायदों के बारे में आप शायद ही जानते होंगे। इसके ऐसे जबरदस्त कारगर उपाय हम आज की वीडियो में बताने जा रहे हैं जो शायद ही किसी से आपने सुने होंगे और तुलसी के इन उपाय को करने से 24 घंटों में आपकी किस्मत बदल जाएगी। दोस्तों।आपकी हर समस्या का तोड़ हर मंत्र तंत्र की गांठ तुलसी के माध्यम से निकाल सकते हैं। फिर वह धन की कमी हो, नजर बाधा हो, शादी में आ रही अड़चने हो, गृहदोष हो कोई बिमारी हो, हर मर्ज की दवा है।

तुलसी दोस्तों माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति लगातार एक महीने तक बजरंग बली को तुलसी के पत्ते लड्डू के साथ साथ या फिर किसी मिष्ठान के साथ चढ़ा दे उसकी कोई भी मनोकामना हो जरूर पूर्ण हो जाती है। तुलसी की मंजरी उतारने से चल रही समस्याएं तत्काल दूर हो जाती है। कई लोग कर्ज के बोझ से परेशान हो जाते हैं।कुछ लोगों के बच्चों की शादी होने में अड़चनें आती है तो तुलसी की मंजरी उतारने से उनके जीवन में चल रही सभी समस्याएं तुरंत ही दूर हो जाती है। जीस व्यक्ति के जीवन में समस्या है उसे ही मंजरी उतारने के लिए बोले। तुलसी के पौधे में अनेक चमत्कारी गुण पाए जाते है। इसकी जड़ की थोड़ी सी मिट्टी, तुलसी के गिरे हुए सूखे पत्ते।और थोड़ी सी मंजरी इन तीनों को नहाने के पानी में डालकर आप स्नान करते हैं तो आपके जीवन में लगे सारे दोष समाप्त हो जाते हैं। ऐसे दोष रहित व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ते हैं। अगर आपको जीवन में आगे बढ़ने में कोई परेशानी आ रही है, कठिनाइयां आ रही है, लगता है कि सब कुछ रुक सा गया है।

तो इन्हें नहाने के पानी में डालकर नहाए। तुलसी की जड़ की मिट्टी बहुत प्रभावी होती है। नहाने के पानी में केवल इस मिट्टी को डालकर स्नान करेंगे तब भी आपके जीवन से बहुत सारे दोष समाप्त हो जाएंगे। आपके जीवन में बरकत आएगी। आपको आगे बढ़ने से कोई ताकत रोक नहीं पाएगी।दोस्तों तुलसी की जड़ की मिट्टी का तिलक लगाने से हर क्षेत्र में आपको सफलता मिलनी शुरू हो जाती है। इससे आपकी सम्मोहन शक्ति बढ़ती है। लोग मोहित हो जाते है, आपसे प्रभावित हो जाते है। ऐसा तिलक लगाने से आपका दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जायेगा। इस तरह की जानकारी आप हजारों रुपये खर्च करने से भी नहीं ले पाए तो जो हम वीडियो में आपको बता रहे है।उसे ध्यान से सुनना और पूरा वीडियो जरूर देखना। आधा अधूरा ज्ञान हमेशा घातक साबित होता है। आगे इसके और भी लाभ बताएंगे जो आपको लाखों करोड़ों का फायदा पहुंचा सकते हैं।

दोस्तों, हर रोज़ तुलसी का पत्ता हमें खाना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा करता है।उसको पूरे जीवन भर सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार ऐसी बीमारियां नहीं होती परन्तु इसे निरंतर करते रहे। बीच में छोड़े नहीं जिन लोगों को मौसम बदलते हैं।यही सर्दी जुकाम हो जाता है, बुखार आ जाता है, मौसम बदलते ही तबियत खराब होनी शुरू हो जाती है। ऐसे लोगों को और कोई उपचार लेने की आवश्यकता ही नहीं है। अगर आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना चाहते हैं तो बस हर रोज़ एक तुलसी का पत्ता खाना शुरू कर दे, ध्यान रखें।रविवार को तुलसी के पत्ते कभी भी तोड़े नहीं जाते तो 1 दिन पहले शनिवार के दिन दो पत्ते तोड़ के रखे ताकि रविवार दिन आपको पत्ता तोड़ना ना पड़े। दोस्तों वैसे अमावस्या, पूर्णिमा और एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़े जाते और बिना स्नान किए हुए तुलसी को तोड़कर जो मानव पूजा करता है वह अपराधी होता है।

उसकी।की हुयी पूजा निष्फल हो जाती है। इसका और एक चमत्कारी फायेदा बताते है अगर आप निर्धारित संख्या में छेह महीने तक तुलसी के पत्ते खाते है निर्धारित संख्या मतलब अगर आप चार की संख्या में खा रहे है तो रोज़ चार पत्ते ही खाने है और अगर आप पांच की संख्या में खा रहे है तो आपको रोज़ पांच की संख्या में ही खाने है।और दिन में एक बार सुबह स्नान करने के बाद भगवान का पूजन करने के बाद और इस पूरे काल में आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा। देखना आपको गरिमा, महिमा, लहिमा सहित आठ तरह की सिद्धियां प्राप्त हो जाएंगी। हमने पौराणिक कथाओं में सुना है कि हनुमान जी हवा में उड़कर कहीं भी आ जा सकते थे। द्रोणागिरी पर्वत को अपने हाथों पर उठा लाए।ये सब अष्ट सिद्धियों के कारण ही संभव हुआ था, जो उन्हें प्राप्त थी। किसी भी असंभव कार्य को संभव बनाना इन सिद्धियों की मदद से हो सकता है। संसार में अनेक पुण्य आत्मा है, जिन्हें कई तरह की सिद्धियां प्राप्त है।

तो अगर आप निर्धारित संख्या में छे महीने तक तुलसी दल खाते है।तो आपको इन अष्ट सिद्धियां की प्राप्ति होगी जिससे व्यक्ति असंभव कार्य को संभव कर सकता है। ज़रा सोचिए इस तरह के विशेष प्रयोग के द्वारा आप अपनी जिंदगी किस तरह बदल के रख सकते है। हम इन्हे इसलिए बता रहे है ताकि आपका जीवन अत्यंत सुखमय हो जाए तो दोस्तों तुलसी के पत्ते खाना शुरू कर दे।इससे शरीर रोग मुक्त रहता है। जो लोग रोगों से मुक्त रहना चाहते है वे तुलसी के पत्तों का रोजाना नियमित सेवन करे। चलिए आप जानते है तुलसी के और कुछ विशेष फायदे। दोस्तों जिन लोगों पर बाधाएं, नकारात्मक शक्ति आदि का प्रभाव है नजरदोष लग गया है किसी के हायबद्दुआ लगी है?

क्योंकि इस दुनिया में बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो एक दूसरे से जलते हैं। उनकी नकारात्मक तरंगो के कारण नकारात्मक ऊर्जा आपको घेर लेती है। अगर आप चाहते है की भूत प्रेत, बाधा, नजरदोष किसी की हाय बद्दुआ कभी भी आपको ना लगे तो आपको तुलसी के पौधे की एक सुखी झड़ लेनी है। उसे चांदी के ताबीज में रख कर।लाल रंग के धागे में डालकर आपको गले में पहनना है। कभी भी आपको भूत प्रेत बाधा नजर दोष नहीं लगेगा।

आज जो लोग भूत प्रेत बाधा से परेशान है ऐसे व्यक्ति तुलसी की मिट्टी नहाने के पानी में डालकर स्नान करना शुरू करें। प्रेत बाधा आपके आसपास भी नहीं भटकेगी।जिन लोगों पर भूत प्रेत बाधा का असर हुआ है ऐसे व्यक्ति एक काम करें तुलसी की जड़ की मिट्टी घर में लेकर रखें फिर रात में सोने से पहले इसे अपने माथे पर लगाये सारा दुष्प्रभाव दूर हो जायेगा। नित्य ऐसा करने से आपको कभी भी भूत प्रेत बाधा नहीं सताएगी। अगर आप दुर्भाग्य से गिरे हैं, भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है।घोर निराशा छा गई है। घोर संकट आते रहते है, आपके अपने भी पराए हो गए है। आपको कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या किया जाए तो आप तुलसी के पत्ते की माला बनाकर बजरंग बली और भगवान श्रीराम की मूर्ति या तस्वीर पर 21 दिन तक लगातार चढ़ा दे। बड़े से बड़ा संकट, परेशानियाँ कर्ज का बोझ तक दूर हो जाएगा।

आपको एक हफ्ते में ही इसके परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे और एक महीने में पूरे तरीके से आप संकट मुक्त हो जाएंगे। इसमें से कोई भी उपाय आप करे और पूरे विश्वास और सकारात्मक मनोबल के साथ करे। ये कोई हवा हवाई बात नहीं है। बिलकुल कारगर उपाय है जब आप तुलसी के पत्ते हनुमान जी या प्रभु श्री राम को चढ़ाते है।तब हनुमान जी आपके कार्यों को सफल करने के लिए विवश हो जाते हैं। बेटी की शादी में दिक्कत आ रही है या शादी बारबार टूट रही है तो आदत बना लें कि प्रतिदिन नियमित रूप से तुलसी को जल चढ़ाएं। इसके साथ ही जल अर्पित करने के बाद तुलसी के सामने हाथ जोड़कर अपनी इच्छा पूरी होने की प्रार्थना करें तो जल्द ही उसके विवाह के योग बनेंगे।व्यापार में नुकसान से बचने के लिए हर शुक्रवार को तुलसी में कच्चा दूध अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं।

भोग लगाने के बाद बचा हुआ प्रसाद किसी सुहागन को दान कर दे। ऐसा करने से बिज़नेस में लाभ के योग बनने लगेंगे।दोस्तों, आपके घर में जो तुलसी पौधा लगा है, एक बार देखना कि आपने उसे किस दिशा में रखा है। तुलसी से शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए उसे उचित दिशा में रखना आवश्यक होता है तो तुलसी के पौधे को अगर आप उत्तर की तरफ रखते है तो इससे धन की प्राप्ति हो। इससे आपके घर में धन निरंतर आता रहेगा, बशर्ते आप उसकी अच्छे से देख भाल करे, नियमित पूजन करे।तुलसी का पौधा अगर आप पश्चिम दिशा में रखते है तो घर में सुख, शांति और वैभव का वास होता है।

अगर पूर्व की तरफ रखते है तो निरोग माया प्राप्त होती है और इससे शत्रु नाश हो जाता है। हर शत्रु का मतलब की आपके घर में दुःख, तकलीफ, परेशानी ऐसे शत्रु जो आने वाले होंगे उन्हें तुलसी मैया नष्ट कर देती है।परन्तु अगर आप दक्षिण दिशा की तरफ तुलसी के पौधे को रखते हैं तो इससे संपूर्ण घर बर्बाद हो जाता है। आपने जरूर देखा होगा कुछ लोगों के घर में तुलसी का पौधा लगा रहता है परन्तु ऐसे व्यक्ति दरिद्र ही रहते हैं। दरिद्र होने का एक कारण ये भी हो सकता है कि वो तुलसी के पौधे का दक्षिणी दिशा में रखा होना।तो तुलसी को रखने में दिशा का खास रूप से ध्यान जरूर रखना चाहिए। फिर देखना तुलसी के शुभ प्रभाव आपको कहाँ से कहाँ पहुंचा देते हैं?

आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि तुलसी के पौधे को पर्याप्त धूप लगे। जहाँ भी तुलसी का पौधा रखा जाता है, वहाँ के आसपास हमेशा साफसफाई होनी चाहिए।दोस्तों इसी के साथ तुलसी से जुड़े कुछ चमत्कारी उपाय जिन्हें आप अपनी सुविधा के अनुसार जरूर करें। तुलसी की पत्तियाँ जब सूख जाए तो आप उन पत्तियों को अपने नहाने के पानी में इस्तेमाल कर सकते हैं। नहाने के पानी में तुलसी डालने से शरीर में नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होता।साथ ही आप अगर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करते है तो उसमें आप तुलसी के सूखे पत्तों का इस्तेमाल कर सकते है।

माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए लाल रंग के कपड़े में तुलसी की सूखी पत्तियों को बांधकर उस स्थान पर रख दे जहाँ आप अपना धन रखते है। ऐसा करने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं से जूझना नहीं पड़ता है, व्यक्ति की आर्थिक उन्नति होती है। दोस्तों आइये अब जानते हैं जन्माष्टमी की व्रत कथा दोस्तों स्कंद पुराण के मुताबिक यादव वंश के राजा उग्रसेन का राज़ चलता था। उग्रसेन का सबसे बड़ा पुत्र कंस था, जिसकी चचेरी बहन देव की थी।कंस अपने ही पिता को जेल में डालकर स्वयं राज़ करने लगा। वहीं दूसरी ओर कश्यप रश्य का जन्म राजा सुरसेन के पुत्र के रूप में यानी वासुदेव का जन्म हुआ। आगे चलकर वासुदेव का ब्याह देवकी से संपन्न हुआ। देवकी को विदा करने के दौरान एक आकाशवाणी होती है।

तू आज जीस बहन को इतने प्यार से विदा कर रहा है कल उसी का आठवां पुत्र तुम्हारी मौत का कारण बनेगा। ऐसा सुनते ही कंस देवकी को मारने के लिए हावी हो गया पर सैनिकों और वासुदेव के वचन ने ऐसा होने से बचा लिया। वासुदेव सत्यवादी थे। उन्होंने कंस को वचन दिया कि वो अपना आठवां पुत्र सौंप देंगे। वासुदेव जी की बात मानते हुए।कंस ने उन दोनों को बंदी बनाने का निर्णय लिया और उनके पास पहरेदार लगा दिए। इसके बाद कंस ने देवकी की सारी संतानो को मारने का प्रण कर लिया। इसके अनुसार देवकी की सातों संतान कंस द्वारा मारी गई। इसके बाद देवकी के आठवें पुत्र का जन्म हुआ। भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि कोरोहिणी नक्षत्र के दौरान मध्य रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। बालक के जन्म लेते ही जेल की कोठरी प्रकाशमय हो गई। साथ ही एक आकाशवाणी सुनाई दी कि तुम बालक को गोकुल में रह रहे नंदबाबा के यहाँ छोड़ आओ, वहाँ एक कन्या का जन्म हुआ है, उसे तुम यहाँ ले आओ। ऐसा सुनते ही वासुदेव की हथखड़ियां खुल गई।

फिर फिर तुरंत एक टोकरी में श्रीकृष्ण को रखकर इसे माथे पर लादे गोकुल की ओर निकल पड़े। रास्ते में यमुना नदी बालकृष्ण के चरणों को स्पर्श करने के लिए उफान पर आ गई। फिर चरण स्पर्श करते ही वह पुनः शांत पड़ गए। इस प्रकार वासुदेव ने अपने पुत्र को यशोदा मैया के बगल में सुलाकर वहाँ से कन्या लेकर वापस कारागार लौट आए।जेल के दरवाजे अपने आप बंद हो गए। उनके हाथों में फिर से हथकड़ी लग गई। सारे पहरेदार भी उठ गए और कन्या के रोने की आवाजे में आने लगी। सूचना मिलते ही कंस कारागार से कन्या को लाया और उसे मारने की कोशिश की, लेकिन वह आकाश में उड़ गई और बोली, अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा?

तुझे मारने वाला अब पैदा हो चुका है।इसके बाद कंस ने कृष्ण का पता लगाकर उसे मारने का खूब प्रयास किया। कई दैत्य राक्षस भेजे, लेकिन कृष्ण को कोई मार न सका। अंततः श्री कृष्ण ने कंस का वध किया और उग्रसेन को पुनः राजा बना दिया। इस प्रकार कृष्ण जन्माष्टमी की व्रत कथा पूरी हुई।ऐसी मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन कहानी को पढ़ने या सुनने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है साथ ही भगवान का आशीर्वाद सदैव बना रहता है। तो आइए दोस्तों अब जानते हैं जन्माष्टमी के दिन कौन से उपाय करने से आपकी किस्मत चमक जाएगी और आपके सभी दुखों का नाश हो जाएगा।

सबसे पहले उपाय आपके अटके कार्यो में गति लाएगा। दोस्तों कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान व आदि करने के बाद घर के बाल गोपाल को नयी पोशाक पहनाये है। भोग लगाये और गोपी चंदन से श्रृंगार करे। उसके बाद पास के राधा कृष्ण मंदिर में जाकर वैजयंती फूलों की माला अर्पित करे। अगर वैजयंती फूल ना मिले।तो पीले फूलों की माला भी अर्पित कर सकते है। ऐसा करने से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलेगा और अटके कार्यों में गति आएगी। दूसरा उपाय और इस उपाय से आपका भाग्य मजबूत होगा। दोस्तों जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल को केसर, मेवा, मिश्री, साबूदाने या खीर का तुलसी दल डालकर भोग लगाए। लेकिन ध्यान रखिए।की खीर चीनी की जगह मिश्री की ढेली डालें। साथ ही सफेद मिठाई भी अर्पित करें। ऐसा करने से कान्हा की कृपा मिलती है और भाग्य भी मजबूत होता है। तीसरे उपाय से आपके घर में धन धानने की कमी नहीं होगी।

दोस्तों सुख समृद्धि के लिए जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल को पूजा करते समय एक पान का पत्ता भी अर्पित करें।फिर पत्ते पर सिंदूर से श्री लिखे और फिर इसको पूजा करने के बाद जहाँ आप पैसा रखते हो वहाँ रख दे। ऐसा करने से घर में धन धान्य की कमी नहीं होती और धन संबंधित समस्या दूर होती है। इस उपाय से मिलेगा शुभ समाचार दोस्तों निःसंतान दंपति जन्माष्टमी के दिन गाय।और उसके बछड़े की सेवा करें और आशीर्वाद लें। इसके साथ ही गाय और उसके बछड़े की मूर्ति भी लेकर आए और बाल गोपाल के पास मूर्ति को रखकर उनकी भी पूजा करें। ऐसा करने से भगवान कृष्ण की कृपा से जल्द शुभ समाचार सुनने को मिलता है।इसके बाद गाय और बछड़े की मूर्ति को ईशान कोण में रखना आदर्श स्थान माना गया है। इस उपाय से आर्थिक तंगी होगी दूर कर्ज की समस्या से परेशान है तो जन्माष्टमी के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान कृष्ण का अभिषेक करे।

दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है और लक्ष्मी पूजा में इस शंख के बिना पूजा पूरी नहीं होती।ऐसा करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इस उपाय से व्यवसाय में होगी उन्नति कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह शाम 11 बार तुलसी की परिक्रमा करें और घी का दीपक जलाये। इसके बाद 108 बार ओम नमो भगवते वासुदेवाए नम मंत्र का जप करे साथ ही कपूर जलाकर उस पर थोड़ी मिश्री डाल दे।ऐसा करने से नौकरी व्यवसाय में उन्नति होती है। तो दोस्तों, यह थी जन्माष्टमी से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां और उपाय जिनको आपको इस बार जरूर करना चाहिए। तो दोस्तों आपको जानकारी कैसी लगी?

हमें कमेंट में जरूर बताएगा।वीडियो अच्छी लगी हो तो वीडियो को लाइक, शेयर और चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलिएगा। आप सभी के मंगल की कामना करते हुए मिलते हैं। अगली वीडियो में जय श्री कृष्ण, राधे राधे।

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