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शीतकालीन संक्रांति: सबसे छोटा दिन, सबसे बड़ा उत्सव!

साल का सबसे छोटा दिन आ गया है! 21 दिसंबर (मंगलवार) को दुनियाभर में शीतकालीन संक्रांति मनाई जा रही है। इस खगोलीय घटना का न केवल वैज्ञानिक महत्व है, बल्कि इसका सांस्कृतिक पहलू भी काफी मज़बूत है। आखिर, क्रिसमस और नए साल का जश्न भी इसी संक्रांति के आसपास ही शुरू होता है!

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उत्तरी गोलार्ध में, शीतकालीन संक्रांति शीत ऋतु का हिस्सा होती है। इसका मतलब ये है कि इस दिन सूरज पृथ्वी से सबसे दूर रहता है, जिससे दिन का समय सबसे कम हो जाता है। इस साल, भारत में सूर्योदय सुबह 7:10 बजे होगा और सूर्यास्त शाम 5:29 बजे होगा।


लेकिन भारत ही नहीं, दक्षिणी गोलार्ध में भी जून महीने में (आमतौर पर 20 या 21 जून को) एक संक्रांति होती है! वहां ये गर्मियों का मौसम होता है, और दिन सबसे लंबा होता है।

दिल्लीवालों के लिए इस सर्दी का स्वाद पहले ही शुरू हो चुका है, क्योंकि बीते दिन न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से काफी कम है। यहां तक कि ठंडी लहर की भी घोषणा कर दी गई है।

शीतकालीन संक्रांति सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपराओं से भी जुड़ी हुई है। साल के सबसे छोटे दिन के बाद से धीरे-धीरे दिन बड़ा होता है, जो आशा और उम्मीद का संदेश देता है। यही कारण है कि इस मौसम में क्रिसमस और नए साल जैसे त्योहार भी मनाए जाते हैं।

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